न्यू यॉर्क : डीएनए का स्ट्रक्चर खोजने के लिए साल 1962 में नोबेल प्राइज हासिल करने वाले बायॉलजिस्ट जेम्स वॉटसन ने अपने मेडल की नीलामी से 4.7 मिलियन डॉलर यानी करीब 30 करोड़ रुपये जुटाए हैं। यह मेडल टेलिफोन से बोली लगा रहे एक अज्ञात शख्स को 4,757000 डॉलर(29,42,91,805 रुपये) में बेच दिया गया। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी नोबेल विजेता ने खुद अपना मेडल बेचा हो।

क्रिस्टीज़ न्यू यॉर्क ऑक्शन में गुरुवार को जिस कीमत पर यह नीलामी हुई, उसने मॉलिक्यूलर बायॉलजिस्ट जेम्स वॉटसन के पूर्व सहयोगी फ्रैंसिस क्रिक के नोबेल मेडल की कीमत को भी पार कर दिया। एक वक्त फ्रैंसिस क्रिक के पास रहे नोबेल मेडल की बोली 2.2 मिलियन डॉलर लगी थी।
7 साल पहले साइंटिफिक कम्यूनिटी ने वॉटसन से किनारा कर लिया था। दरअसल उन्होंने अफ्रीका के बारे में नकारात्मक टिप्पणी कर दी। एक अखबार से उन्होंने कहा था, 'हमारी सभी सामाजिक नीतियां इस आधार पर बनी हैं कि उनकी इंटेलिजेंस का स्तर हमारे जितना है। मगर सभी टेस्ट बताते हैं कि ऐसा नहीं है।'

इस टिप्पणी के लिए वॉटसन ने खेद प्रकट किया था। उन्होंने कहा था, 'जिन लोगों को मेरी टिप्पणी से लगा हो कि अफ्रीका महाद्वीप जेनेटिकली कमतर है तो मैं बिना शर्त माफी मांगता हूं। मेरा मतलब यह नहीं था। ऐसा मानने का कोई वैज्ञानिक आधार भी नहीं है।'

नोबेल के लिए वॉटसन ने जो पांडुलिपियां तैयार की थीं, उनकी भी नीलामी की गई। क्रिस्टीज़ के मुताबिक इनकी नीलामी 61,0000 डॉलर में हुई। 1962 में मेडिसन का नोबेल फ्रैंसिस क्रिक, जेम्स वॉटसन और मॉरीज़ विल्किन्स को संयुक्त रूप से न्यूक्लिक ऐसिड्स के मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर की खोज के लिए दिया गया था।