नई दिल्ली. पेटीएम (Paytm) दिवाली से पहले 2.2 अरब डॉलर का IPO ला रहा है. आईपीओ लाने से पहले कंपनी पूरी तरह से कमर कस कर तैयार है. लेकिन इस बीच अब एक अजीबोगरीब अड़चन आ रही है. यह ब्रेकर कंपनी के 71 वर्षीय पूर्व डायरेक्टर अशोक कुमार सक्सेना हैं. अशोक कुमार ने मार्केट रेगुलेटर सेबी से IPO रोकने का निवेदन किया है. इनका आरोप है कि वह कंपनी के को-फाउंडर हैं और दो दशक पहले उन्होंने कंपनी में 27,500 डॉलर (20.42 लाख रुपए) निवेश किया था लेकिन उन्हें कभी कंपनी में शेयर नहीं मिला.
Paytm ने बताया फर्जी दावा
रॉयटर्स के मुताबिक, Paytm ने अशोक कुमार के दावों को फर्जी बताया है और दिल्ली के एक पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ शोषण का केस दर्ज किया है. Paytm ने जुलाई में इश्यू का आवेदन जारी किया था. लेकिन इस क्रिमिनल केस की वजह से Paytm के IPO को झटका लग सकता है. अशोक कुमार सक्सेना इस बात से साफ इनकार कर रहे हैं कि वह Paytm का शोषण कर रहे हैं.उन्होंने कहा कि Paytm हाई-प्रोफाइल पोजीशन में है और उनकी व्यक्तिगत हैसियत ऐसी नहीं है कि वो Paytm का शोषण कर सकें. खबर है कि सक्सेना ने मार्केट रेगुलेटर सेबी से संपर्क किया है ताकि Paytm के IPO रोका जा सके.हालांकि इस मामले में सेबी ने अभी कोई बयान नहीं दिया है.
IPO आने में देर हो सकती है देरी
शेयरहोल्डर एडवाइजरी फर्म InGovern के श्रीराम सुब्रमण्यन ने कहा कि इस विवाद की वजह से सेबी जांच का आदेश दे सकता है या IPO आने में देर हो सकती है. सुब्रमण्यन ने कहा, “सेबी यह सुनिश्चित करेगा कि लिस्टिंग के बाद इसका असर कंपनी और इसके शेयर होल्डर्स पर ना पड़े.”
जानिए क्या है पूरा मामला?
इस पूरे विवाद का जड़ एक पन्ने का एक एग्रीमेंट है जो अशोक कुमार सक्सेना और Paytm के अरबपति CEO विजय शेखर शर्मा ने 2001 ने साइन किया था. इसके मुताबिक, सक्सेना को Paytm की पेरेंट कंपनी One97 कम्युनिकेशंस में 55% हिस्सेदारी मिलेगी और बाकी हिस्सेदारी शर्मा की होगी. हालांकि इस मामले में Paytm ने भी कुछ कहने से इनकार कर दिया.हालांकि इस मामले में Paytm ने दिल्ली पुलिस को बताया कि यह सिर्फ एक letter of intent है इसपर कोई डील नहीं हुई थी. Paytm ने यह एग्रीमेंट दिल्ली पुलिस को भी दिखाया है. Paytm ने दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि सक्सेना कंपनी के को-फाउंडर नहीं हैं.सरकार के पास Paytm के जो शुरुआती डॉक्यूमेंट हैं उसके मुताबिक, अशोक कुमार सक्सेना 2000 से 2004 के बीच कंपनी के डायरेक्टर थे. पुलिस को दिए जवाब में Paytm ने इस बात पर सहमति जताई है कि कंपनी की पेरेंट कंपनी के वो पहले डायरेक्टर्स में से एक थे. लेकिन धीरे-धीरे उनकी दिलचस्पी कंपनी में खत्म हो गई.
Paytm की दलील
Paytm ने दलील दी है कि 2003-2004 में उसने कंपनी के शेयर ट्रांसफर किए थे और सक्सेना ने उस पर अपनी निजी सहमति भी जताई थी. हालांकि दूसरी तरह सक्सेना का कहना है कि उन्हें कंपनी के शेयर कभी नहीं मिले और ना उनके साथ कोई सहमति थी.यह पूछे जाने पर कि सक्सेना इतने साल तक फिर चुप क्यों रहे उन्होंने बताया, उनके परिवार में कुछ मेडिकल इश्यू थे और डॉक्यूमेंट खो गए थे। सक्सेना ने बताया कि उन्हें ये डॉक्यूमेंट्स पिछले साल गर्मियों में मिले थे. उन्होंने कहा, “शेयर और पैसा एक बात है लेकिन मैं ये भी चाहता हूं कि कंपनी के को-फाउंडर के तौर पर उन्हें पहचाना जाए. यह आने वाली पीढ़ियों का सवाल है.”अब यह मामला दिल्ली की अदालत में पहुंच गया है.इस मामले की सुनवाई अब 23 अगस्त को होगी.