नई दिल्ली : सारदा चिटफंड घोटाला मामले में केंद्र सरकार आज उस समय अलग सुरों में बोलती दिखाई दी जब उसके एक मंत्री ने संसद में कहा कि अभी तक की जांच से यह खुलासा नहीं हुआ है कि सारदा चिट फंड धन का इस्तेमाल बांग्लादेश में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया गया। मंत्री ने भाजपा प्रमुख अमित शाह के आरोपों के विपरीत बात कही जो सारदा घोटाले और बांग्लादेश आतंकवाद के बीच संबंध होने का आरोप लगा चुके हैं। इस बीच टीएमसी ने इस मुद्दे पर अमित शाह के खिलाफ हमला बोलते हुए माफी मांगने की बात कही है।

कार्मिक राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया, ‘अभी तक की जांच से ऐसे किसी लेनदेन का पता नहीं चला है कि आतंकवादी गतिविधियों को हवा देने के लिए धन को बांग्लादेश भेजा गया।’ उधर रविवार को कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने आरोप लगाया था कि सारदा चिटफंड के पैसे का इस्तेमाल दो अक्तूबर के बर्धवान विस्फोट में किया गया। बर्धवान विस्फोट के तार जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) आतंकवादी संगठन के साथ जुड़े होने की जांच की जा रही है।

शाह ने तृणमूल कांग्रेस पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया था, ‘सारदा चिटफंड धन का इस्तेमाल बर्धवान विस्फोट में किया गया। एनआईए को विस्फोट की उचित तरीके से जांच नहीं करने दी जा रही है। बाधाएं पैदा की जा रही हैं। यह तृणमूल कांग्रेस नेताओं को बचाने के लिए किया जा रहा है जो विस्फोट में शामिल हैं।’

विपक्ष और विशेष रूप से तृणमूल कांग्रेस द्वारा शाह पर हमला बोले जाने के बीच केंद्रीय मंत्री और पश्चिम बंगाल से भाजपा के टिकट पर चुने गए बाबुल सुप्रियो ने जितेन्द्र सिंह के बयान पर हैरानी जतायी और आरोप लगाया कि राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और उसके सांसदों के बांग्लादेश में आतंकी साजिश से संबंध थे। सुप्रियो ने कहा, ‘कुछ ही देर पहले मुझे जितेन्द्र सिंह के बयान के बारे में पता चला है। इसका अलग कारण है। काफी जिम्मेदार लोग थे जिन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए काफी तेजी से कार्रवाई की कि राज्य सरकार के पास सबूत हैं और इसे कई टीवी कैमरों के सामने रिकार्ड किया गया है।’

उन्होंने कहा, ‘सबूतों को नष्ट करने में राज्य सरकार का हाथ था जिनसे राज्य सरकार, तृणमूल कांग्रेस या उनके सांसदों का आतंकी साजिश से संबंध साबित हो सकता था जो कि न केवल पश्चिम बंगाल में केंद्रित थी बल्कि इसके तार बांग्लादेश और पड़ोसी देशों से भी जुड़े थे।’ सुप्रियो ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘इसलिए केंद्र सरकार ने बेहद समझदारी से काम किया और कार्रवाई में एनआईए को शामिल किया। एनआईए इस समय पूरे मामले की बेहद व्यापक जांच पड़ताल कर रही है। जितेन्द्र सिंह ने जो कहा है, मुझे कुछ देर पहले उसका पता चला । मुझे देखना होगा कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा।’

जितेन्द्र सिंह से सवाल किया गया था कि क्या सरकार ने रिपोर्टों में ये संकेत आने के बाद सारदा चिटफंड घोटाले की जांच का ब्यौरा मांगा है कि धन का एक हिस्सा आतंकवादी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए बांग्लादेश भेजा गया। सिंह ने जवाब दिया कि सरकार ने जांच का ब्यौरा नहीं मांगा है।

लेकिन संसदीय मामलों के मंत्री वेंकैया नायडू ने यह कहते हुए इस विवाद में पड़ने से इंकार कर दिया, ‘आप मंत्री से और पार्टी अध्यक्ष से पूछिए।’ उन्होंने कहा, ‘मैं हर बात पर टिप्पणी नहीं करता और आप मुझसे ये उम्मीद नहीं कर सकते कि मैं अपने अध्यक्ष पर टिप्पणी करूंगा।’ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने भाजपा अध्यक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें मुद्दे की संवेदनशीलता को समझना चाहिए क्योंकि यह एक करीबी पड़ोसी से जुड़ा है।

उन्होंने कहा, ‘उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह यह स्वीकार कर रहे हैं कि भारतीय धन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए किया जा रहा है। यह बेहद नुकसान पहुंचाने वाला बयान है। या तो वह गैर जिम्मेदार हैं या पश्चिम बंगाल में कुछ राजनीतिक दलों की छवि खराब करने के लिए राजनीतिक बयान दे रहे हैं।’ शाह से देश और पश्चिम बंगाल की जनता से माफी की मांग करते हुए मोइली ने कहा कि उनकी सरकार इस बात से इंकार करती है कि ऐसी कोई चीज हो रही है।

मोइली ने कहा, ‘उस सूरत में, सरकार कई हितों को साथ लेकर काम कर रही है। हर किसी को पता है कि अमित शाह मोदी का दायां हाथ हैं। इसका मतलब यह हुआ कि भाजपा सरकार या मंत्रियों द्वारा दिए जाने वाले बयानों पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।’ इसी प्रकार की मांग रखते हुए तृणमूल कांग्रेस नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘असल बात यह है कि अमित शाह को कुछ पता नहीं रहता। उन्हें न तो विषय की जानकारी है और न ही उन्हें जरा सा भी यह पता है कि सार्वजनिक बैठक में उन्हें क्या कहना है।’