केंद्रपाड़ा । केंद्रपाड़ा की तटरेखा को दशकों से छिन्न-भिन्न कर एक-एक कर गांव को निगलते समुद्र ने हाल में सदियों पुराने पंचूवराही मंदिर को धराशयी कर दिया। इस घटना से स्थानीय लोगों की उम्मीदों को झटका लगा है जोकि प्राकृतिक संकट से राहत पाने को लेकर यहां प्रार्थना करते थे। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने 2018 में समुद्र तट से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित बागपतिया में पुनर्वास कॉलोनी में करीब 571 संवेदनशील परिवारों को पुनर्स्थापित किया था।
उन्होंने बताया कि समुद्र के कटाव से विस्थापित लोगों के लिए राज्य में अपनी तरह की पहली पुनर्वास और पुनर्स्थापना पहल थी। समुद्र की जद में आए ज्यादातर हिस्से के बावजूद, गृहनगर से दूर होने के बाद भी इसके कुछ निवासी समय-समय पर सातभाया गांव आकर पंचुवरही मंदिर में दर्शन करते थे जिसके अंदर की भगवान की मूर्ति भी पुनर्वास कॉलोनी में पुनर्स्थापित कर दी गई थी। इसके पूर्व निवासियों में से एक ने कहा कि स्थानीय लोग सातभाया गांव में मंदिर को मानवीय उपस्थित के अंतिम प्रत्यक्ष संकेत के रूप में देखते थे।
उन्होंने दुख जताकर कहा कि मंदिर के नष्ट होने के बाद, हमारी आखिरी उम्मीद भी चली गई कि, समुद्र अपना प्रकोप खत्म कर देगा। जिले में राजनगर तहसील के अधिकारी ने बताया कि सातभाया और कन्हुपूर गांवों के लोग अन्य स्थानों की तुलना में सुरक्षित स्थान पर जाना चाहते थे जहां के कुछ लोग नए इलाके में नहीं जाना चाहते थे। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों से विचार-विमर्श के बाद, बागपतिया में पुनर्वास कॉलोनी बसाई गई है।