जयपुर. राजस्थान में चल रही सियासी खींचतान (Political Tussle) की बड़ी वजह राज्य की नौकरशाही (Bureaucracy) भी मानी जा रही है. समय-समय पर मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स के बीच टकराव यह बताता है कि राज्य में सियासी खींचतान की पीछे अधिकारियों का जनप्रतिनिधियों के प्रति सकारात्मक नजरिया (positive attitude) नहीं होना भी है. इसके चलते रोजना टकराव बढ़ता है और अधिकारियों को बार-बार तबादलों से रू-ब-रू होना पड़ता है. इसका सीधा असर सरकार के कामकाज पर पड़ता है. वहीं नेताओं और ब्यूरोक्रेट्स को एक दूसरे को समझने में समय लगता है. इस दरम्यिान सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो पाते हैं.
लिहाजा फिर शिकवे-शिकायत का दौर शुरू हो जाता है. नतीजतन सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ती है. शिकवे शिकायत का यही फेज सरकार पर बाद में भारी पड़ने लग जाता है. वहीं आमजन भी इससे सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगता है. दूसरी तरफ पार्टी फोरम पर भी कार्यकर्ताओं के काम नहीं होने की शिकायतों की बाढ़ आ जाती है. यही कारण है कि परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास से लेकर विधायक भरत सिंह कुंदनपुर तक ब्यूरोक्रेसी पर निशाना साध चुके हैं. राजस्थान में मंत्रियों और कांग्रेस नेताओं ने ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ लंबे समय से मोर्चा खोल रखा है.
पायलट भी कह चुके हैं कि अधिकारी सुनते नहीं हैं
पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी आरोप लगा चुके हैं कि अधिकारी सुनते नहीं हैं और पार्टी के ही विधायकों की सुनवाई नहीं हो रही है. इस कार्यकाल में विधानसभा में सरकार के मंत्रियों और नेताओं ने ही ब्यूरोक्रेसी पर कई बार निशाना साधा है. इसके चलते कई बार अधिकारियों को बदला भी जा चुका है. लेकिन वे सुधरने के लिए तैयार नहीं है. इस तरह के विवाद के बीच कई बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी दखल देना पड़ा है. मन से काम नहीं करने पर मुख्यमंत्री भी अधिकारियों को कई बार फटकार लगा चुके हैं. हाल ही में मुख्यमंत्री ने राजस्व विभाग के प्रमुख शासन सचिव को लाइव वीसी में फटकार लगाई थी.
जनप्रतिनिधियों की अधिकारियों से नाराजगी की यह है वजह
– जिले में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक उनकी नहीं सुनते हैं.
– सरकार में कार्यकर्ताओं का ही काम नहीं हो पा रहा है.
– अफसर ज्ञापनों की मांग पर गंभीर नहीं होते.
– लोक कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ी फाइलों में देरी करते हैं.
– जनप्रतिनिधियों के प्रति अफसरों का रवैया नकारात्मक है.
– कई भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से सरकार की छवि पर विपरीत असर पड़ रहा है.
इन मंत्रियों और अधिकारियों के बीच हो चुका है विवाद
– पूर्व खाद्य मंत्री रमेश मीणा बनाम IAS मुग्धा सिन्हा
– पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह बनाम IAS एच गुइटे और श्रेया गुहा
– मंत्री उदयलाल आंजना बनाम IAS नरेशपाल गंगवार
– मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास बनाम IAS राजेश यादव
– शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा बनाम IAS मंजू राजपाल
रिटायर्ड आईएएस का यह कहना है
सेवानिवृत्त आईएएस भागीरथ शर्मा का कहना है कि ब्यूरोक्रेट्स नियमों के तहत काम करता है. ब्यूरोक्रेट्स को खुद को सर्वोच्च नहीं समझना चाहिए. उसे नियमों के अनुसार काम करना चाहिए. राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स के बीच विवाद होते रहते हैं. यह कोई नई बात नहीं है. राजनेताओं को भी सही बात के लिए कहना चाहिए और अधिकारियों को गलत काम नहीं करना चाहिये.