नई दिल्ली : विश्व हिन्दू कांग्रेस के उद्घाटन कार्यक्रम में वीएचपी के सर्वोच्च नेता अशोक सिंघल ने विवादित बयान दे दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में 800 साल बाद स्वाभिमानी हिन्दुओं की सरकार बनी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दू अस्तित्व सबसे पुराना है। भागवत ने कहा, 'हिन्दू से नया रास्ता मिलेगा। हिन्दू मतलब अनेकता में एकता है।' उन्होंने कहा कि दुनिया को सिखाने का सही वक्त है क्योंकि 2000 सालों से सही रास्ता नहीं निकला है।

सिंघल ने कहा कि दिल्ली के अंतिम हिंदू राजा पृथ्वीराज चौहान को 800 साल पहले मुस्लिम हमलावरों के हाथ अपना साम्राज्य गंवाना पड़ा था। इसके बाद अब वीएचपी और दूसरे हिन्दू संगठनों की कोशिशों से 'अजेय हिंदू समाज' तैयार करने का लक्ष्य पूरा हो गया है क्योंकि केंद्र में ऐसी सरकार आ गई है, जो हिंदू स्वाभिमान में विश्वास करती है।

हालांकि सिंघल ने मोदी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने कहा कि नई सरकार का आना हिन्दुओं के लिए गर्व की बात है क्योंकि अंग्रेजों का शासन खत्म होने के बाद जो भी सरकारें आईं, उन्होंने हिन्दू हित का ध्यान नहीं रखा। उन्होंने कहा कि एक (इंदिरा गांधी की) सरकार के समय गोहत्या पर प्रतिबंध की मांग करने वाले साधुओं पर गोली चलाई गईं और उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने अयोध्या में कार सेवकों पर गोली चलवा दी। मनमोहन सिंह सरकार का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राम सेतु के मसले पर पिछली सरकार ने अदालत से यह तक कह दिया कि भगवान राम भारत में हुए भी थे या नहीं, इसका कोई प्रमाण उसके पास नहीं है।

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पहले भी एनडीए के हाथ में केंद्र की कमान रह चुकी है। जाहिर तौर पर सिंघल की नजर में वह सरकार हिंदू स्वाभिमान को नहीं जगा पाई थी। सिंघल का यह बयान सियासी हलकों में बवंडर मचा सकता है। एनडीए सरकार भी इससे असहज हो सकती है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी लगातार यह कहते रहे हैं कि उनकी सरकार हिन्दुत्व के बजाय प्रशासन को बुनियादी सिद्घांत मानती है। अपनी जनसभाओं में भी वह 'जय श्री राम' जैसे नारे लगाने के लिए नहीं कहते।

कार्यक्रम में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने भी हिन्दू धर्म को कई धर्मों की बुनियाद बताया और यहां तक कहा कि बौद्ध धर्म की बुनियाद हिन्दू धर्म ही है। उन्होंने सिंधु घाटी की सभ्यता को हिन्दू सभ्यता बताते हुए कहा, 'हिन्दू सभ्यता ने महान विचारक दिए हैं। बौद्ध धर्म इतना समृद्ध इसीलिए हुआ क्योंकि हिन्दू विचारों ने उसे बौद्धिक चुनौती दी और भगवान बुद्ध ने वास्तव में हिन्दू धर्म के विचारों को आधार बनाकर ही बौद्ध धर्म की बुनियाद डाली।' मजाकिया लहजे में दलाई लामा ने कहा कि वह अक्सर कहते हैं कि बौद्ध अनुयायी प्राचीन भारतीयों के चेले हैं क्योंकि आधुनिक भारतीयों का पश्चिमीकरण हो गया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा, 'हिन्दू अनेकता में एकता देखते हैं और समाज की कई समस्याओं का हल हिन्दुत्व अथवा भारतीय परंपरा में ही है। इसके लिए हिन्दुओं को अपनी ताकत महसूस करनी होगी और हिन्दुओं की उपलब्धियों पर गर्व करते समय याद रखना होगा कि हिन्दुओं ने कितनी यातना सही है।'


21- 23 नवंबर तक चलनेवाले इस सम्मेलन में 40 देशों के 1500 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित इस सम्मेलन में 45 सत्र होंगे, जिसमें 200 वक्ता अर्थव्यवस्था, शिक्षा, महिला विकास, लोकतांत्रिक विचारधारा जैसे विषयों पर विचार रखेंगे।

चर्चा में सात भिन्न-भिन्न मंच भाग लेंगे। इन मंचों में विश्व हिन्दू आर्थिक मंच द्वारा हिन्दू आर्थिक सम्मलेन, हिन्दू शिक्षा बोर्ड द्वारा हिन्दू शैक्षिक सम्मेलन, हिंदू छात्र-युवा नेटवर्क द्वारा हिन्दू युवा सम्मेलन, हिन्दू मीडिया मंच द्वारा हिन्दू मीडिया सम्मलेन, हिन्दू महिला मंच द्वारा हिन्दू महिला सम्मलेन, हिन्दू संगठन, मंदिरों और संघों द्वारा हिन्दू संगठनात्मक सम्मलेन और विश्व हिन्दू लोकतान्त्रिक मंच द्वारा हिंदू राजनीतिक सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

समारोह को अन्य लोगों के अलावा आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा, मोहन भागवत, सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी, वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, गिनी के वित्त मंत्री डा. अश्नी सिंह, प्रख्यात वैज्ञानिक जी माधवन नायर, डॉ. विजय भटकर, शिक्षाविद प्रो. एस बी मजुमदार, फिल्म डायरेक्टर प्रियदर्शन भी संबोधित करेंगे।

विश्व हिन्दू कांग्रेस के प्रवक्ता सुशील पंडित ने कहा कि विश्व हिन्दू महासम्मेलन 23 नवंबर तक चलेगा जो हम सब साथ मिलकर चलें, हम सब साथ मिलकर सोचें की अवधारणा पर आधारित है। इसका मकसद आध्यात्मिक और भौतिक विरासत के पुनर्निर्माण के लिए एकाग्रता से काम करने की जरूरत को बताना और अलग-अलग चुनौतियों के बारे में विचार-विमर्श और सू़त्रबद्ध तरीके से समाधान तैयार करना है।