नई दिल्ली। बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के "भूत" से बाहर निकलते हुए रक्षा मंत्रालय ने ढाई दशक बाद साढे 15 हजार करोड रूपए से अधिक की लागत से तोप खरीदने का बड़ा निर्णय लिया है। रक्षा मंत्री बनने के बाद मनोहर पार्रिकर की अध्यक्षता में शुक्रवार को रक्षा खरीद परिषद की पहली बैठक हुई जिसमें सेना की तोपों की कमी को पूरा करने के लिए 15,750 करोड रूपए की लागत से 155 एमएम 52 कैलिबर की 814 तोप खरीदने का निर्णय लिया गया। लगभग दो घंटे चली बैठक में 7 हजार करोड़ रूपए की लागत से वायुसेना के लिए एकीकृत वायु कमान, नियंत्रण प्रणाली तथा एयर सेंसर खरीदने को भी मंजूरी दी गई।
रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने बैठक के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 56 एवरो विमानों तथा पिलेटस प्रशिक्षु विमानों की खरीद के प्रस्तावों को अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया है। भारतीय सेना ने 1986 के बाद से अब तक एक भी तोप नहीं खरीदी है और विभिन्न सरकारें बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के जंजाल को ध्यान में रखते हुए इस बारे में फैसलों को बार-बार टालती रही है।
शुक्रवार को लिये गये निर्णय के अनुसार ये तोप खरीद और देश में उत्पादन के आधार पर खरीदी जायेंगी। इसके तहत पहले 100 तोप खरीदी जायेंगी और इसके बाद तकनीक हासिल कर इनका देश में ही निर्माण किया जायेगा। देश की तोप बनाने वाली तीन बड़ी कंपनियों टाटा, लार्सन एंड ट्यूर्बो तथा भारत फोर्ज के इस प्रोजेक्ट की दौड़ में शामिल होने की संभावना है।
साढे 15 हजार करोड रूपए की लागत से 800 तोप खरीदेगा भारत
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