
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस [14 अगस्त] के मौके पर दो बड़ी सरकार विरोधी रैलियों की घोषणा से सरकार परेशान है। गुरुवार को तहरीक-ए-इंसाफ के प्रमुख इमरान खान और पाकिस्तान अवामी तहरीक [पीएटी] प्रमुख तहीरूल कादरी के नेतृत्व में इस्लामाबाद में होने वाली सरकार विरोधी रैली को लेकर नवाज शरीफ सरकार पहले से ही सतर्क हो गई है।
सरकार ने सतर्कता बरतते हुए इस्लामाबाद में सेना को तैनात कर दिया है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने यहां के कई इलाकों में मोबाइल फोन और इंटरनेट सेवाओं को ठप करने का आदेश दिया है। छावनी में तब्दील हुई राजधानी में सेना के जवान हर जगह गश्त लगा रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने दोनों रैलियों की टाइमिंग की निंदा की है। शरीफ ने कहा कि रैली के दिन [14 अगस्त] देश स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। हिंसा की आशंका के चलते शरीफ हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। उधर, सरकार के ऐसे बयान और कदम को देखते हुए विरोधियों ने कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शन के पहले ही डर गई।
दरअसल, इमरान ने वर्ष 2013 के चुनाव में धोखाधड़ी होने का आरोप लगाया है। कादरी सरकार की नीतियों व भ्रष्टाचार से खफा हैं। वह करीब 10 लाख लोगों को राजधानी की सड़कों पर उतारना चाहते हैं। उन्होंने धमकी दी है कि वह अपनी मांगे माने जाने तक इस्लामाबाद में कोई काम नहीं होने देंगे।
ऐसी आशंका जताई गई है कि यदि कादरी व खान को मनाने में शरीफ सरकार सफल नहीं हुई तो सेना कानून व व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति का हवाला देकर देश की सत्ता पर फिर काबिज हो सकती है। सरकार ने राजधानी की सुरक्षा पहले ही तीन माह के लिए सेना के हवाले कर दी है। शरीफ के लाहौर स्थित घर की सुरक्षा का जिम्मा अर्द्धसैनिक बलों को सौंपा गया है। 1947 में आजादी के बाद पाकिस्तान में सेना ने करीब आधे समय देश पर शासन किया है।