जयपुर. प्रदेश में मानसून (monsoon) की देरी ने किसानों (farmers) के साथ ही कृषि विभाग (agriculture department) की भी चिन्ता बढ़ा दी है. पिछले कुछ दिनों से मानसून प्रदेश में छाया तो है, लेकिन इसकी लेटलतीफी ने किसानों का काफी नुकसान भी कर दिया है. बारिश में हुई देरी की वजह से मानसून पूर्व बुवाई करने वाले किसानों की फसलें जल गई हैं और अब उन्हें दोबारा बुवाई करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता सूझ नहीं रहा है.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नुकसान अभी बड़े पैमाने पर नहीं है. कृषि अनुसंधान संस्थान दुर्गापुरा के डायरेक्टर डॉ. अर्जुन सिंह बालोदा के मुताबिक पिछले कुछ सालों में भी मानसून का यही पैटर्न रहा है और बारिश तय समय से देरी से हुई है. जिन किसानों ने जल्दी बुवाई की है और फसल जलने से दोबारा बुवाई की जरुरत पड़ रही है उन्हें अब जल्दी पकने वाली किस्मों का चुनाव करना पड़ेगा. दोबारा बुवाई में किसानों की मेहनत और बीज का पैसा तो बर्बाद होगा, लेकिन फसल में खाद दोबारा देने की जरुरत नहीं होगी.


कम होती है प्री मानसून बुवाई

मानसून की बेरुखी के चलते इस बार खरीफ की बुवाई का आंकड़ा अभी तक पिछले साल के मुकाबले काफी कम है. विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में प्री मानसून बुवाई केवल 20 से 25 प्रतिशत क्षेत्र में ही होती है और यदि अब भी मानसून अच्छे से मेहरबान होता है तो बुवाई का लक्ष्य हासिल हो सकता है.

विशेषज्ञों के मुताबिक जहां हल्की मिट्टी है. उन इलाकों में बारिश में हुई देरी की वजह से फसल जलने की स्थिति बनती है, हालांकि बाजरे में एक बार जड़ निकल जाने के बाद वह काफी दिनों तक बना रहता है. मानसून की देरी से कुछ नुकसान जरुर हुआ है, लेकिन स्थितियां अभी संभलने लायक हैं.

ये है बुवाई की स्थिति
- प्रदेश में इस बार 1 करोड़ 63 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में खरीफ की बुवाई का टारगेट है.

- 16 जुलाई तक 56 लाख 70 हजार हैक्टेयर में बुवाई हो पाई है.

- अभी लक्ष्य के मुकाबले 34.62 प्रतिशत क्षेत्र में ही बुवाई हो पाई है.

- पिछले साल 16 जुलाई तक 84 लाख 88 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी थी.

- पिछले साल कुल 1 करोड़ 62 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में खरीफ की बुवाई हुई थी.

- 16 जुलाई तक बाजरे की बुवाई का 32 प्रतिशत लक्ष्य हासिल हो पाया.

- मक्का की बुवाई का 60 फीसदी, मूंगफली की बुवाई का 87 फीसदी लक्ष्य हासिल.

- मूंग की बुवाई का 31 फीसदी और सोयाबीन की बुवाई का 55 फीसदी लक्ष्य हासिल.