पटना : पटना पुस्तक मेले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लिखी गयी एक दर्जन से अधिक पुस्तकों की इस मेले में धूम मची हुई है। इन किताबों की बिक्री नीतीश कुमार से संबंधित किताबों से अधिक हो रही है।
पटना पुस्तक मेला के अध्यक्ष एच. एल. गुलाटी ने बताया कि नरेंद्र मोदी की तुलना में नीतीश कुमार से संबंधित पुस्तकों की इस मेले में बिक्री काफी कम है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच-छह सालों के दौरान पटना पुस्तक मेला में नीतीश पर लिखी गयी पुस्तकों की बिक्री अधिक हुई थी, लेकिन अब मोदी की पुस्तकों की बिक्री अधिक है।
प्रभात प्रकाशन के स्टाल प्रबंधक अमित शर्मा ने कहा कि इस पुस्तक मेले में भी ‘मोदी मैजिक’ बरकरार हैं। किशोर मकवाना लिखित ‘कॉमन मैन : नरेंद्र मोदी’ की सभी प्रतियां बिक गयीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पर लिखित ‘नमोवाणी’ और ‘सामाजिक समरसता’ पुस्तकें भी बढ़िया बिक रही हैं।
नमो की किताबों में राजपाल प्रकाशन की अंग्रेजी में लिखित ‘अबोड ऑफ लव’ और उसका हिंदी अनुवाद ‘प्रेम तीर्थ’ सबसे अधिक लोकप्रिय है। वर्ष 1975-77 के बीच आपातकाल के दौरान भूमिगत रहे नरेंद्र मोदी द्वारा स्वयं गुजराती भाषा में लिखित उक्त पुस्तक में प्रेम विषय से जुड़ी कई कहानियां हैं।
पटना पुस्तक मेले में लगे राजपाल प्रकाशन के स्टाल से ‘अबोड ऑफ लव’ की आखिरी प्रति प्राप्त करने में सफल रही ज्योत्सना ने बताया कि मोदी द्वारा प्रेम विषय पर कहानियों के विचार रहस्य की अनुभूति कराते हैं।
राजपाल प्रकाशन के स्टाल प्रबंधक महेंद्र सिंह ने बताया कि मोदी की इस पुस्तक को सभी उम्र के लोगों के खरीदे जाने के कारण उसका स्टाक खत्म हो गया है। वरिष्ठ पत्रकार एमवी कामथ और प्रो. कालिंदी रंदेरी द्वारा लिखित ‘वक्त की मांग : नरेंद्र मोदी’ नोवेल्टी प्रकाशन के स्टाल पर खूब बिक रही हैं।
नरेंद्र मोदी के जीवन पर आधारित 20 रूपये की एक कामिक्स बच्चों में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। संजय सिन्हा द्वारा जदयू के वरिष्ठ नेता नीतीश कुमार पर लिखित ‘नीतीश इंजीनियरिंग : रिकंस्ट्रक्टिंग बिहार’ ने पूर्व में लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था, लेकिन उनकी पुस्तकों में खासतौर से शंकरन ठाकुर द्वारा लिखित ‘सिंगल मैन’ का हिंदी अनुवाद ‘अकेला आदमी’ भी पाठकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
इस बीच पटना पुस्तक मेला के सचिव अमरेंद्र कुमार झा ने बताया कि अब तक इस मेले में करीब 2.5 करोड़ रूपये की पुस्तकों की बिक्री हुई है जिनमें से अधिकांश व्यक्तिगत तौर पर खरीदने वाले लोग हैं। उन्होंने बताया कि संस्थानों द्वारा खरीदारी करने पर बिक्री का आंकड़ा और भी बढ़ने की उम्मीद है।