लंदन । ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव अपने असर व्यापक करते जा रहे हैं। पहले कहा जाता था कि जंगल हमारी पृथ्वी को बचाने में मददगार होते हैं, लेकिन अब खुद उनका अस्तित्व खतरे में हैं। धरती पर फैले जंगलों का पांचवा हिस्सा सिर्फ रूस में ही पड़ता है। हाल ही में अध्ययन में पता चला है कि जलवायु परिवर्तन से जूझने की उनकी क्षमता भी कम नहीं है। इसका मतलब यह नहीं है कि ये रूसी जंगल खुद खतरे में नही हैं, लेकिन शोध में मिले नतीजे कुछ ऐसा ही बता रहे हैं। शोधकर्ताओं ने रूसी जंगलोंमें मौजूद जैवईंधन की नए सिरे से गणना करने का चुनौतीपूर्ण काम हाथ में लिया। यह आंकलन साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद से नहीं हुई थी।
रशियन नेशनल फॉरेस्ट इनवेंटरी, का पहला चक्र साल 2020 में पूरा हुआ। आंकड़ों को फॉरेस्ट प्लॉट के आंकड़ों से मिलाने पर वैज्ञानिकों को जलवायु परिवर्तन रूसी जंगलों को जैवभार या जैवईंधन के नए आंकड़े मिले,इससे इन जंगलों के जलवायु परिवर्तन पर हो रहे प्रभावों की पुष्टि हो सकी है। साथ ही जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए इनके महत्व का पता चला। शोध में मिली जानकारी में जैवईंधन की तादात और उनकी कार्बन अधिग्रहण क्षमता के बारे में भी पता चला।
शोधकर्ताओं ने पाया कि रूसी जंगलों में स्टेट फॉरेस्ट रजिस्टर में रिकॉर्ड किए जैवईंधन की तुलना में करीब 40 प्रतिशत ज्यादा जैवईंधन है। यह संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन के सांख्यकीय आंकड़ों से भी इतना ही ज्यादा है।सेवियत संघ की पिछली रिपोर्ट की तुलना में ये पड़ताल सुझाती हैं कि कि रूसी जंगलों में 1988 से लेकर साल 2014 के बीच स्टॉक संग्रहण दर वहीं रही जिस दर से उष्ण कटिबंधीय देशो में जंगलों के स्टॉक का नुकसान हुआ है। इसके अलावा अध्ययन ने इसी अवधि में कार्बन अधिग्रहण का आंकलन बताता है कि जीविद जैवभार की माऊआ नेशलन ग्रीनहाउस गैसेस इंवेटरी में दर्ज मात्रा क तुलना में 47 प्रतिशत अधिक है।
ये आंकड़े साफ तौर पर बताते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने के मामले में रूसी जंगलों में को अब तक कितना नजरअंदाज किया जाता रहा है। लेकिन ये फायदे कम भी हो सकते थे या कि पूरी तरह से खत्म भी हो सकते थे यदि जलवायु थोड़ी और ज्यादा बेरहम और रूखी हो जाती जैसा कि हाल के सालों में होने लगा है। अध्ययन में कहा गया है कि विज्ञान और नीति की नजदीकी साझेदारी इस माममें में नाजुक होगी जिससे व्यापक अनुकूलित जंगल प्रबंधन को लागू किया जा सके।
जलवायु परिवर्तन से जूझने की जंगलों की क्षमता भी कम नहीं
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