नई दिल्ली । विदेशी बाजारों में मजबूती के रुख के बीच स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में लगभग सभी तेल-तिलहनों के भाव में सुधार दिखाई दिया। विदेशों में काफी समय के बाद एक दिन के अंदर सोयाबीन डीगम के भाव में 10 प्रतिशत की तेजी दिखाई दी, जिससे सोयाबीन तेल, सरसों और पामोलीन सहित बाकी तेल लाभ के साथ बंद हुए। खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कमी करने के मोदी सरकार के कदम का लाभ ग्राहकों को मिलता नहीं दिख रहा। विदेशों में खाद्य तेलों के भाव चढ़े, जिससे स्थानीय तेल-तिलहन बाजार में भी मजबूती का रुख रहा। 
बाजार सूत्रों के अनुसार सरकार द्वारा आयात शुल्क में कटौती करने के बाद शुक्रवार की रात विदेशों में सोयाबीन डीगम का आयात भाव 1,168 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 1,278 डॉलर प्रति टन कर दिया। देश में आयात शुल्क घटाने पर विदेशों में भाव नरम पड़ने के बजाय और बढ़ा दिए गए है। इससे सोयाबीन के सभी तेलों की कीमतों में सुधार आया। सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) की स्थानीय मांग बढ़ने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव भी लाभ के साथ बंद हुए। डीओसी की मांग बढ़ने से महाराष्ट्र के लातुर में सोयाबीन दाना के दाम 7,750 रुपये क्विन्टल से बढ़ाकर 7,850 रुपये क्विन्टल कर हो गए। 
पामोलीन के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने से स्थानीय तेल रिफाइनिंग कंपनियां बुरी तरह प्रभावित होंगी। साथ ही इससे स्थानीय किसानों की आय पर भी असर पड़ेंगा। सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन में आई तेजी की वजह से सरसों में भी सुधार देखने को मिला जिसकी अपनी स्थानीय मांग भी है। सलोनी, आगरा और कोटा में सरसों दाना का भाव 7,650 रुपये क्विन्टल से बढ़ाकर 7,750 रुपये क्विन्टल हो गया है। सहकारी संस्था हाफेड ने हालांकि सरसों की खरीद के लिए निविदा मंगाई है। लेकिन सरसों की अगली पैदावार अधिक रहने की उम्मीदों को देखकर देश के लिए अच्छी किस्म के बीजों का इंतजाम रखना लाभप्रद रहेगा। उन्होंने कहा कि खुदरा बाजार में अच्छे ब्रांड के कच्ची घानी के सरसों का भाव अधिकतम 150-160 रुपये लीटर है। निर्यात के साथ स्थानीय खपत मांग बढ़ने से मूंगफली तेल तिलहनों में सुधार आया। मांग निकलने से बिनौला भी लाभ के साथ बंद हुआ।