बीजिंग: चीन ने आज चांद से वापसी का अपना पहला मिशन सफलतापूर्वक पूरा कर लिया और इसका मानवरहित यान धरती पर लौट आया। इसके साथ ही चीन पूर्व सोवियत संघ और अमेरिका के बाद इस तरह के मिशन को अंजाम देने वाला तीसरा देश बन गया है।
पूर्व सोवियत संघ और अमेरिका चांद से यान की वापसी के मिशन को लगभग 40 साल पहले ही अंजाम दे चुके हैं। इस अभियान के साथ ही चीन अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक कदम और आगे बढ़ गया। चंद्रमा की कक्षा में लगभग एक हफ्ते पहले भेजा गया यह चीनी परीक्षण यान चीन के इनर मंगोलिया स्वायत्त क्षेत्र में आज सुबह सिजिवांग बनेर में उतरा। इसे चंद्रमा की कक्षा में जाने और धरती पर लौटने की इसकी क्षमता को परखने के लिए एक हफ्ते पहले प्रक्षेपित किया गया था।
चीन के तीन चरण... कक्षा में घूमने, उतरने और अंतत: धरती पर वापस आने..वाले 8 दिवसीय चंद्रमा कार्यक्रम के निर्णायक पड़ाव के लिए यह एक प्रायोगिक परीक्षण था। शिन्हुआ समाचार एजेंसी की खबर, के अनुसार बीजिंग से करीब 500 किलोमीटर दूर निर्धारित स्थल पर यान उतरा। इससे पहले इस तरह का आखिरी मिशन 1970 के दशक में सोवियत संघ ने किया था।
खबर में कहा गया कि यान गत पिछले हफ्ते शुक्रवार को प्रक्षेपित किया गया था। अपने आठ दिन के मिशन में इसने आठ लाख 40 हजार किलोमीटर का सफर तय किया और धरती तथा चंद्रमा की एक साथ शानदार तस्वीरें लीं। पृथ्वी पर वापसी की प्रक्रिया स्थानीय समयानुसार 6 बज कर 13 मिनट पर शुरू हुई तथा यान करीब 11.2 किमी प्रति सेकंड के वेग से पृथ्वी पर आया।
चीन ने चंद्रमा के लिए अपने पहले भावी मिशन चांग-5 में प्रयुक्त की जाने वाली प्रौद्योगिकियों के परीक्षण के लिए 24 अक्टूबर को यह मानवरहित अंतरिक्ष यान ल्यूनर ऑर्बिटर प्रक्षेपित किया था। यह यान चीन के दक्षिण पश्चिमी सिचुआन प्रांत स्थित शीचांग सैटेलाइट प्रक्षेपण केंद्र से अत्याधुनिक लॉन्ग मार्च-3 सी रॉकेट के जरिये प्रक्षेपित किया गया था।
इस यान में प्रयुक्त की गई प्रौद्योगिकी का उपयोग चांग-5 मिशन में किया जाएगा। चांग-5 को चंद्रमा पर भेजा जाएगा और यह आंकड़े तथा वहां के कुछ नमूने एकत्र कर वर्ष 2017 में वापस लौट आएगा। इससे पहले चीन वर्ष 2007 चांग-1, वर्ष 2010 में चांग-2 और दिसंबर 2013 में चांग-3 भेज चुका है।