पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक को आखिरकार सेंट्रम और भारत पे ने खरीदने की पेशकश कर दी है। रिजर्व बैंक ने इसे मंजूरी भी दे दी है। पर अगर 8 साल पहले शिकायतों पर रिजर्व बैंक ने ध्यान दिया होता तो इतना बड़ा घोटाला बच सकता था। मजे की बात यह है कि रिजर्व बैंक का अधिकारी ही PMC में जनरल मैनेजर यानी जीएम बन गया।

दिसंबर तक बढ़ा प्रतिबंध

हाल में रिजर्व बैंक ने PMC पर प्रतिबंधों को दिसंबर तक बढ़ा दिया है। घोटाले में फंसे PMC Bank के जमाकर्ताओं को पैसे मिलने का रास्ता साफ हो गया है। इसे स्माल फाइनेंस बैंक के रूप में चलाया जाएगा। वर्ष 2019 में जब PMC बैंक का घोटाला उजागर हुआ तो सितंबर 2019 में रिजर्व बैंक ने PMC बैंक के निदेशक मंडल को खत्म कर दिया। बैंक पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए।

घोटाले के संकेत बहुत पहले मिले थे

मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, RBI को घोटाले के संकेत बहुत पहले मिले थे। अगर समय से अमल हुआ होता तो यह घोटाला रोका जा सकता था। क्योंकि 8 साल पहले ही एक व्यक्ति ने बैंक में हो रहा जालसाजी के बारे में RBI को चिट्ठी लिखकर आगाह किया था। 28 जनवरी 2011 को PMC के एक कर्मचारी ने रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक ए उदगता को एक पत्र लिखा। इसमें उसने बैंक द्वारा एचडीआईएल और DHFL के साथ डील की जानकारी दी थी।

दोनों कंपनियां वधावन परिवार की थीं

HDIL और DHFL वधावन की कंपनियां थीं। बैंक के कर्मचारी ने अपने लेटर में कहा था कि PMC बैंक ने HDIL के साथ मिलकर अपने डिपॉजिट्स में हेरफेर की। बदले में HDIL की पूरी ब्लैक मनी PMC बैंक के कैश डिपॉडिट में दिखाया गया। इस बढ़ी हुई कैश लिमिट की जानकारी RBI को नहीं दी गई। इस लेकर में बैंक के NPA के बारे में भी खुलासा किया गया था।

बुरा फंसा कर्ज 9% था

इसके मुताबिक, PMC बैंक का बुरा फंसा कर्ज यानी NPA 9% था, लेकिन बैंक ने इसे केवल 1% दिखाया। PMC बैंक ने अपने सिस्टम में 250 करोड़ रुपए का बोगस डिपॉजिट दिखाया। बैंक ने NPA करने वाली कंपनियों जैसे कि DHFL और HDIL को बडी मात्रा में नया लोन दिया। यह लोन इन कंपनियों के डायरेक्टर्स के रिश्तेदारों या पार्टनर के नाम पर दिए गए। बैंक के लोन बुक को बढ़ाने का लिए नकली डिपॉजिट दिखाए गए।

2011 को मामले की जांच का आदेश

हालांकि RBI ने इसी लेटर के आधार पर 7 मार्च 2011 को इस मामले की जांच करने का आदेश PMC के CEO को दिया। उनको बाद में इस केस मे गिरफ्तार किया गया। यह घोटाला उस समय सामने नहीं आया, क्योंकि RBI ने जिस व्यक्ति को इसकी जांच का जिम्मा सौंपा था, वह खुद घोटालेबाजों के साथ मिला हुआ था और इस साजिश में शामिल था। इस मामले में ऑडिटर लकड़ावाल ऑडिटर का रोल भी जांच के घेरे में है। इस मामले में ऑडिटर्स बैंक की गड़बड़ी पकड़ने में नाकाम रहे और इसे टॉप रेटिंग दे दी।

रिजर्व बैंक के नियमों के मुताबिक, उसका कोई भी रिटायर या इस्तीफा देने वाला अधिकारी निजी कंपनियों में काम नहीं कर सकता है। लेकिन कांबले ने इस्तीफा देकर पीएमसी बैंक में काम किया।

कांबले रिटायर होने के बाद बैंक में आए

एल.एन कांबले रिजर्व बैंक में सहकारी बैंकों के सुपरविजन विभाग में थे। वे जनवरी 2012 में रिटायर हुए और मार्च 2012 में पीएमसी बैंक में जनरल मैनेजर बन गए। हालांकि कांबले ने कहा कि उनके पास पीएमसी में जाने के लिए सभी तरह की मंजूरियां रिजर्व बैंक से मिली थीं। वे पीएमसी मे मानव संसाधन यानी एचआर और ट्रेनिंग विभाग में थे। कांबले 2012 से 2019 तक पीएमसी बैंक में थे। उन्होंने अक्टूबर 2019 में इस्तीफा दे दिया था।

जांच में पता चला कि पीएमसी बैंक के सीईओ जॉय थॉमस ने पर्सनल असिस्टेंट से शादी करने के लिए अपना धर्म परिवर्तन कर नाम जुनैद खान कर लिया। अपनी पत्नी को पुणे में 9 फ्लैट गिफ्ट में दिए।