नई दिल्ली । भारतीय टीम को अपना पहला विश्व कप जीते 38 साल हो गए है। सन 1983 में कमजोर आंके जा रहे 11 भारतीय जांबाजों ने उस दौर में बेहद मजबूत मानी जानी वाली वेस्टइंडीज की टीम को अविश्वसनीय ढ़ंग से मात दे दी थी। शुरुआती दो विश्व कप अपने नाम करने के बाद कैरेबियाई टीम को पूरी उम्मीद थी कि वह लगातार तीसरा खिताब भी जीत जाएगी, लेकिन कपिल देव और उनकी टीम ने उनके इस सपने को पूरा नहीं होने दिया।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि की 38वीं वर्षगांठ के मौके पर शुक्रवार को विश्व विजेता टीम फिर एकत्र हुई। इस दौरान पुरानी यादें ताजा की गईं। एक कार्यक्रम में शिरकत के दौरान कीर्ति आजाद ने बताया कि मैंने दौरे की शुरुआत में कपिल देव के बैग में शैपेंन की छोटी बोतल देखी थी। वह हर मैच में उसे अपने साथ लेकर जाते। एक दिन मैंने उनसे कहा कि तुम पीते तो हो नहीं, फिर इसका क्या करोगे, हमें दे दो, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अगर आप देखोगे तो वर्ल्ड कप जीतने के बाद लॉर्ड्स की बालकनी में जो पहली शैंपेन खुली थी वह वही थी।
इससे पता चलता है कि वह पहले दिन से ही फाइनल जीतने के प्रति आश्वसत थे। 1983 विश्व कप के दौरान मेरे हैंडबैग में शैंपेन की एक बोतल थी। फाइनल के परिणाम के बाद ही मैंने फाइनल के बाद बोतल खोलने का फैसला किया, यही मेरी सोच थी। याद हो कि भारत फाइनल में पहले बल्लेबाजी करते हुए केवल 183 रन ही बना सका था। अधिकांश भारतीय खिलाड़ियों को टोटल बचाने का भरोसा नहीं था, लेकिन कपिल ही थे जिन्होंने उन्हें अपना सब कुछ देकर वर्ल्ड कप जीतने का विश्वास दिलाया। मैच शुरू हुआ तो क्रिकेट के जानकार और देखने वालों का मानना था कि दो बार की चैंपियन कैरेबियाई टीम आसानी से मैच अपने नाम कर खिताबी तिकड़ी पूरी करेगी, लेकिन दिन का खेल खत्म हुआ तो कपिल देव लॉर्ड्स की बालकनी में ट्रॉफी थामे खड़े थे।
1983 में विश्वकप जीतने को लेकर बेहद आश्वस्त थे कपिल देव : कीर्ति आजाद
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