जयपुर। राजस्थान में कोरोनाकाल में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा रसोई के नाम से अलग से राहत अभियान चलाने के बाद वसुंधरा समर्थक अब पार्टी पर दबाव बना रहे है कि प्रदेश में बीजेपी की कमान वसुंधरा को सैंपी जाए। वसुंधरा ही राजस्थान में बीजेपी को दोबारा सत्ता में ला सकती हैं। दूसरी तरफ राजे विरोधी कह रहे हैं कि राजस्थान में अब बदलाव का वक्त है और  वसुंधरा राजे का वक्त जा चुका है। बीजेपी के इन दोनों गुटों की घमासान के बीच राजे गुट कका ये भी दावा कि सिर्फ राजे ही इकलौती नेता है, जिसमें 20 फीसदी तक वोट को स्विंग करने की ताकत है। 
  बीजेपी के प्रदेश महासचिव और रामगंज मंडी से विधायक मदन दिलावर ने कहा कि ये दंभ न दिखाए कि राज्य में पार्टी से बड़ा कोई नेता है। उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि बलराज मधोक ने जनसंघ में ऐसा ही दंभ दिखाया तो उन्हें बाहर कर दिया था। दरअसल राजस्थान में बीजेपी की कमान इस वक्त राजे विरोधी कैंप के पास है। राजे और उनके समर्थक लगातार खुद को हाशिये पर देख रहे हैं। राजे ने आठ मार्च को अपने जन्मदिन के बहाने देव दर्शन यात्रा से भरतपुर में शक्ति प्रदर्शन भी किया था। फिर महामारी में इंदिरा रसोई और वसुंधराराजे के नाम से सोशल मिडिया पर हेल्पलाइन शुरू कर कोरोना पीड़ितों के लिए मदद का अभियान चलाया था। जबकि बीजेपी का सेवा ही संगठन है अभियान पहले से ही चल रहा था। राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2023 में होंगे। लेकिन मौजूदा टकराव के चलते राजे समर्थकों को डर है कि 2018 की तरह इस बार चुनाव में पार्टी राजे को कमान सौंपेगी या नहीं। राजे अपनी अलग रणनीति पर भी काम कर रही है। सूत्रों का कहना है कि प्रशांत कुमार से जुड़ी एक मिडिया पीआर कंपनी से भी राजे की टीम ने संपर्क साधा है।