पिछले महीने ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोरोना से मृत लोगों के परिजन को 1-1 लाख रु. देने की घोषणा की है। इसके तहत अभी इंदौर में इसे लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। यही कारण है कि सोमवार को इसे लेकर होने वाली मीटिंग नहीं हो सकी। दूसरी, ओर फिलहाल यहां चार योजनाओं के पात्र लोगों द्वारा किए गए आवेदनों की छानबीन चल रही है। इसमें खास यह कि मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना में जिन सरकारी कर्मचारियों की मौत के बाद उनके परिजन को जो 5 लाख रु. मुआवजा बतौर मिलना है, उस पर स्क्रूटनी चल रही है। इसके तहत संबंधित मृत कर्मचारी के पीएफ, बकाया राशि सहित अन्य बिंदुओं पर छानबीन चल रही है। मृत कर्मचारी के सेवाकाल में रहने के दौरान सरकारी की ओर से किसी भी प्रकार के मद में लेनदारी पाई गई तो यह राशि 5 लाख रु. की मुआवजा राशि में से कटकर ही मिलेगी।
मुख्यमंत्री कोविड-19 विशेष अनुग्रह योजना उन लोगों के लिए है, जिनके परिवार में किसी सरकारी कर्मचारी की कोरोना से मौत हुई है। इसमें कोरोना से मौत की जांच को लेकर जो पेचीदा प्रक्रिया है वो तो है ही, लेकिन उसके शासकीय सेवा में रहने के दौरान किसी प्रकार का बकाया तो नहीं है और उसके परिवार की वित्तीय स्थिति कैसी है, इन सभी बिंदुओं के पड़ताल के बाद अगर बकाया है तो राशि काटकर दी जाएगी। एडीएम पवन जैन के अनुसार इसे लेकर बारीकी से छानबीन की जा रही है।
मुख्यमंत्री कोविड अनुकंपा योजना के लिए भी पड़ताल
ऐसे ही दूसरी मुख्यमंत्री कोविड अनुकंपा योजना है। इसके तहत सरकारी कर्मचारी की अगर क्लर्क या संविदा के पद पर रहते हुए मौत हुई है तो उसी पद पर परिवार के किसी व्यक्ति को अनुकंपा दी जाएगी। इसमें उम्र, शिक्षा आदि को लेकर जो मापदंड हैं उन्हें भी देखा जा रहा है। ऐसे ही कोरोना योद्धा योजना में 10 लाख रु. की राशि का प्रावधान है।
मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना में इंदौर से 25 बालक-बालिकाएं पात्रता की श्रेणी में
एक खास मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना है। इसमें ऐसे बच्चे व युवा जिनकी उम्र 21 से कम है तथा माता-पिता दोनों की मौत 1 मार्च 2021 से 30 जून 2021 के बीच हो चुकी है, उन्हें 5 हजार रु. प्रतिमाह व मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी उमेश यादव ने बताया कि पहले दौर में छानबीन के बाद 8 आवेदनों में 12 बालक-बालिकाओं को पात्र पाया। इसमें कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जिनके दो बच्चे हैं। इन आवेदनों को कलेक्टर की स्वीकृति के बाद भोपाल भेज दिया गया है। दो आवेदन ऐसे थे जिनमें से माता-पिता किसी एक की मौत हुई थी, उन्हें निरस्त किया गया। दूसरे दौर में 12 आवेदनों में से 7 पात्र, 4 अपात्र व एक में दस्तावेज पूरे प्रस्तुत नहीं किए गए। जो 7 पात्र आवेदन हैं, उनमें 13 बालक-बालिकाएं हैं। ये प्रक्रिया भी लगभग पूर्ण हो चुकी है। इस तरह इंदौर में अब तक कुल 25 बालक-बालिकाएं इस योजना में पात्र पाए गए हैं।