दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की याचिका पर सुनवाई हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि महमूदाबाद को दी गई जमानत वाली अंतरिम राहत जारी रहेगी. अदालत में ये याचिका महमूदाबाद ने हरियाणा पुलिस के खिलाफ दायर किया है. दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर पर किए गए सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. इसी मामले में 18 मई को महमूदाबाद को गिरफ्तार भी कर लिया गया था. बाद में, महमूदाबाद को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच इस मामले को सुन रही है. उनकी बेंच को आज हरियाणा सरकार की तरफ से पेश हो रहे वकील ने बताया गया कि मामले में एसआईटी का गठन कर दिया गया है और जांच हो रही है. इस पर जस्टिस कांत ने वकील से कहा कि जब आपकी जांच पूरी हो जाए, तो पहले रिकॉर्ड हमारे सामने रखें. महमूदाबाद के लिए पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि जांच एजेंसी इस अवसर का लाभ उठा सकती है. सिब्बल ने आशंका जताई कि ऐसा ना हो कि दूसरी चीजों की जांच इसी के साथ शुरू कर दी जाए.
सोशल मीडिया बैन हटाने की मांग
सिब्बल की इस आशंका पर सुप्रीम कोर्ट ने दर्ज किया कि एसआईटी की जांच इस मसले में दो एफआईआर तक ही सीमित रहेगी. अदालत ने ये भी साफ किया कि जांच रिपोर्ट को इस मामले से संबंधित अदालत में दाखिल करने से पहले सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करना होगा. साथ ही, जमानत वाला अंतरिम संरक्षण अगले आदेश तक जारी रहेगा. इसके बाद सिब्बल मे अदालत से इस मामले में लगाई गई शर्तों (खासकर, सोशल मीडिया पोस्ट करने पर रोक) पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि इन शर्तों का मतलब सिर्फ ये है कि याचिकाकर्ता सिर्फ शांत रहें.
इस पर सिब्बल ने कहा कि “वह कुछ नहीं करेंगे, जज साहबा मुझसे यह आश्वासन ले सकते हैं, लेकिन यह आदेश जारी नहीं रखा जा सकता. ये परिपक्व लोग हैं. विश्वविद्यालयों में पढ़ाते हैं.” इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि हम हर चीज पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. वहीं, इस पर हरियाणा की तरफ से पेश हो रहे वकील ने कहा कि प्रोफेसर महमूदाबाद 14 देशों का दौरा कर चुके हैं, जांच शुरू हो गई है. इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि क्या आपने मानवाधिकार आयोग को जवाब दिया है? मानवाधिकार आयोग ने एफआईआर दर्ज करने के तरीके का संज्ञान लिया है.
सोशल मीडिया पोस्ट पर लगे बैन को लेकर जस्टिस कांत ने कहा कि वे बाकी चीजें लिख सकते हैं, लेकिन विषय-वस्तु के संबंध में नहीं. इस परसिब्बल ने कहा कि वे ऐसा क्यों करेंगे? जस्टिस कांत ने कहा कि हम इस मुद्दे पर मीडिया ट्रायल नहीं चाहते हैं. वे किसी भी अन्य विषय पर लिखने के लिए स्वतंत्र हैं. उनके बोलने के अधिकार पर कोई बाधा नहीं होगी. सिब्बल ने कहा कि अब जांच में एजेंसी को डिवाइस भी चाहिए. इस पर जस्टिस कांत ने हरियाणा एजी से कहा कि दोनों एफआईआर रिकॉर्ड में है. डिवाइस की क्या जरूरत है? दायरा बढ़ाने की कोशिश न करें. दाएं- बाएं न जाएं.