नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आगामी जापान यात्रा के दौरान वर्ष 2010 से लंबित चल रहे असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर हो सकते हैं.

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार जापान अब इसके लिए तैयार है. प्रधानमंत्री की इस यात्रा में दोनों देशों के बीच सामरिक साझेदारी की मजबूती पर जोर रहेगा. क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने में भारत जापान साझेदारी बेहद महत्वपूर्ण है.

भारत की तरह ही जापान के साथ भी आए दिन ड्रैगन का विवाद बना रहता है.

सूत्रों के अनुसार इस यात्रा में बुलेट ट्रेन को लेकर भी बातचीत होगी वहीं रक्षा क्षेत्र में भी कुछ समझौते होने की उम्मीद की जो रही है.

नई सरकार जापान की उन्नत तकनीक का भारत में ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने की रणनीति पर काम कर रही है. प्रधानमंत्री का बुलेट ट्रेन के सपने में जापान की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है.

सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री की यात्रा में जापान के यूएस 2 एम्फीबियस एअर क्राफ्ट को लेकर समझौता हो सकता है.

माना जा रहा है कि भारत ऐसे 15 एअर क्राफ्ट खरीदने को उत्सुक है. अपने तरीके का यह विमान अकेले जापान के पास ही है और यह विमान हवा और पानी दोनों पर चलने में सक्षम हैं.

जापान के प्रधानमंत्री अपने रक्षा क्षेत्र के दरवाजे भारत के लिए खोलने को बेहद उत्सुक हैं. यदि यह समझौता हो गया तो भारत पहला ऐसा देश होगा जिसे जापान अपने रक्षा उत्पाद बेचेगा.

इसके अलावा मेरीटाइम समझौता होने की भी उम्मीद है. भारत और जापान की नौसेना मिलकर साझा अभ्यास पर भी निर्णय ले सकते हैं. भारत और जापान के बीच रक्षा क्षेत्र में मजबूत साझेदारी क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने में निर्णायक साबित हो सकती है.

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दोनों नेता मोदी और अबे दक्षिण एशिया क्षेत्र में चीन के बढ़ रहे हस्तक्षेप को कम करने के उपायों पर भी र्चचा कर सकते हैं. सीमा मुद्दे को लेकर चीन भारत और जापान को आए दिने आंखे दिखाने की कोशिश करता है. दोनों ही देश इस तथ्य से भली भांति वाकिफ है.

यात्रा के दौरान दिल्ली-मुंबई औद्योगिक क्षेत्र गलियारा और चेन्नई-बेंगलुरू आर्थिक क्षेत्र गलियारे की दिशा में बातचीत आगे बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है.

सूत्रों के अनुसार भारत की पूरी कोशिश है कि लंबित असैन्य परमाणु समझौते को अंतिम रूप दिया जाए. दोनों देश इस मुद्दे पर कई दौर की बात कर चुके हैं लेकिन जापान में फुकुशिमा दुर्घटना के बाद बातचीत की रफ्तार सुस्त हो गई थी.

इसके अलावा जापान की अंदरुनी राजनीति भी इस तरह के समझौते को लेकर उत्सुक नहीं है. ऐसे में लगातार यह मुद्दा टलता जा रहा था. लेकिन पिछले वर्ष भारत की यात्रा पर आए जापान के प्रधानमंत्री शिजो अबे ने इस दिशा में सकारत्मक संकेत दिए थे. गौरतलब है कि मोदी की चार दिवसीय यात्रा 31 अगस्त से शुरू होगी.