
नई दिल्ली. भारतीय नौसेना (Indian Navy) अगले 10 साल में 170 वॉरशिप फोर्स (Warship Force) बनने का लक्ष्य लेकर चल रही है. इसके साथ ही चीन (China) और पाकिस्तान (Pakistan) के खतरे को देखते हुए अगले साल तक 30 आर्म्ड एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन को भी खरीदने का लक्ष्य है. वहीं कुछ सालों में तीसरा विमानवाहक पोत भी नौसेना को मिल जाएगा.
इस संबंध में नौसेना (Indian Navy) के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने कहा, ‘हम ऐसे समय में रह रहे हैं, जब वैश्विक और क्षेत्रीय शक्ति का संतुलन तेजी से बदल रहा है. सबसे अधिक बदलाव वाला क्षेत्र हिंद महासागर क्षेत्र है. इन बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए हमारी फोर्स सफल रहे, इसके लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं.’
उन्होंने बताया कि 30 आर्म्ड एमक्यू-9बी प्रिडेटर ड्रोन अमेरिका से खरीदे जाने हैं. इसे स्वीकृति के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) के पास भेजा जाना है. इस डील में टेक्नोलॉजी के हस्तांतरण के साथ ही भारत में मेंटेनेंस फैसिलिटी लगाया जाना भी शामिल है.
इसके साथ ही नौसेना की ताकत तब और बढ़ जाएगी जब 21 नवंबर को इसे विशाखापट्टनम क्लास गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर मिलेगा. यह पूरा प्रोजेक्ट 35 हजार करोड़ रुपये का है. नौसेना को 25 नवंबर को कलवरी क्लास स्कॉर्पीन सबमरीन भी मिलेगी. यह 23 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है. वेला कलवरी श्रेणी की चौथी पनडुब्बी है. ये दोनों मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में बनाए गए हैं. इन्हें बल में शामिल किए जाने संबंधी कार्यक्रम मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में होंगे.
नौसेना उप प्रमुख का कहना है कि मौजूदा समय में देश के विभिन्न शिपयार्ड में 39 युद्धपोत और पनडुब्बियां बनाने काम जारी है. लेकिन पहले नौसेना का प्लान 130 वॉरशिप का था, इसमें 230 हेलीकॉप्टर, विमान, ड्रोन थे. यह आंकड़ा 170 वॉरशिप और 320 विमान तक 2027 तक पहुंचने का लक्ष्य था. लेकिन यह करीब पांच साल लंबित हो गया.
तीसरे विमानवाहक पोत के बारे में पूछे जाने पर नौसेना उपप्रमुख वाइस एडमिरल सतीश नामदेव घोरमडे ने कहा कि योजना बनाते समय तीसरे विमानवाहक पोत की आवश्यकता को ध्यान में रखा जाएगा. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा, ‘इन सभी, विमानवाहक पोत (तीसरे), पनडुब्बी और समुद्री गश्ती विमान की एक निश्चित भूमिका होगी. संतुलित बल बनाने के लिए, देश की क्षमता के लिए इन सभी की आवश्यकता होती है.’ आईएसी विक्रांत को लगभग 23,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है.