गणेश चतुर्थी पर आमतौर पर टेराकोटा की मूर्तियों का चलन लंबे समय से हो रहा है, लेकिन विसर्जन के समय तालाबों और नदियों को इससे नुकसान पहुंचता है। यही वजह है कि आस्था के साथ-साथ अब लोग पर्यावरण संरक्षण को भी प्राथमिकता देने लगे हैं। विचारों में आया यह बदलाव नए इको फ्रेंडली स्टार्टअप को भी जन्म दे रहा है। 'माटी गणेश' ऐसा स्टार्टअप है, जिसमें गणेश प्रतिमा को मिट्टी से बनाया जाता है। कारीगर इसे हाथों से बनाते हैं और सूर्य की किरणों में रखकर पकाते हैं। जोधपुर के भुवनेश ने यह स्टार्टअप 300 मूर्तियां बनाने से शुरू किया था। अब इसकी डिमांड 3,000 से अधिक मूर्तियों तक पहुंच गई है।मिट्टी और प्राकृतिक वस्तुओं से निर्मित यह मूर्तियां हर किसी को लुभा रही हैं। इसके साथ जूट का टब भी प्रोवाइड करवाया जा रहा है। इसमें गणपति का विसर्जन घर पर ही कर सकते हैं। विसर्जन के साथ मिट्टी टब में रह जाएगी तो उसमें उगाने के लिए मूली, पालक के बीज का पाउच भी साथ में दिया जा रहा है। इससे बीज मिट्टी में बोए जा सकते हैं और हरी सब्जियां उगा सकते हैं। यह 'बीज गणेश' कॉन्सेप्ट यूथ को बहुत पसंद आ रहा है।
प्रतिमा, 3 घंटे में हो जाती है विसर्जित
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