नई कारों के मुकाबले पुरानी कारों या यूं कहें सेकेंड हैंड कारों की बिक्री की रफ्तार अधिक है। हाल के वर्षों में कई स्टार्टअप पुरानी कारों के बाजार में आए हैं, जो विभिन्न तरह की सुविधाजनक पहल के जरिये ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके अलावा कोरोना संकट की वजह से लोग अपने वाहन से चलने को तरजीह दे रहे हैं। इससे पुरानी कारों की बिक्री टॉप गियर में पहुंच गई है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक पुरानी कारों का बाजार वर्ष 2020 तक 50 हजार करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है।
स्टार्टअप बदल रहे खरीदारी का तरीका
पिछले पांच वर्षों में भारतीय बाजार में ड्रूम, कार देखो, कार्स24, कार ट्रेड और स्पीनि जैसे स्टार्टअप ने कदम रखा है। इन स्टार्टअप ने पुरानी कारों के बाजार को पूरी तरह डिजिटल कर दिया है। एप के जरिये इनके पोर्टल पर कार की कीमत और स्थिति (कंडीशन) से लेकर हर तरह की जानकारी ले सकते हैं। इसके अलावा पुरानी कार के लिए फिनटेक और एनबीएफसी संग मिलकर तुरंत कर्ज की सुविधा भी दे रहे हैं जो असंगठित लीडर नहीं कर पाते हैं। इस तरह की विभिन्न पहल के जरिये स्टार्टअप खरीदारी के सुविधाजनक कई विकल्प दे रहे हैं।
वाजिब कीमत पर वारंटी भी
पुरानी कार यदि वाजिब कीमत पर वारंटी के साथ मिले तो ग्राहक खरीदने में ज्यादा संकोच नहीं करते हैं। ड्रूम के संस्थापक संदीप अग्रवाल का कहना है कि पोर्टल और एफ पर सूचीबद्ध ज्यादातर वाहनों की वाजिब कीमत भी दी जाती है। साथ ही कई पैमानों पर परख के बाद उसकी कंडीशन के आधार पर रेटिंग भी जाती है। इसके अलावा परखी हुई कार पर वारंटी की पेशकश भी की जाती है और कीमत भी असंगठित डीलरों की तुलना में कम है। इससे ग्राहकों का भरोसा बढ़ा है।
एआई पकड़ लेता है छेड़छाड़
स्टार्टअप अब कार की जांच-परख के लिए डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई की मदद ले रहे हैं। अग्रवाल का कहना है कि पुरानी कार खरीदने में सबसे बड़ा डर उसके इंजन में छेड़छाड़ और अधिक चली हुई कार को माइल मीटर में छेड़छाड़ कर कम बताया जाना था। लेकिन अब हम ऐसी तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं कोई भी छेड़छाड़ तुरंत पता चल जाती है। इसके अलावा अब कोई अपनी कार का दाम बढ़ा चढ़ाकर बताता है तो हमारे पोर्टल और एप उसकी भी पोल खोल देते हैं। इससे खरीदार के लिए तुलना करना आसान हो जाता है।
स्टार्टअप और कार कंपनियो में होड़
पुरानी कारों के बाजार में मारुति, हुंडई, महिन्द्रा, फोर्ड समेत तमाम वाहन कंपनियां हैं, जिन्हें अब स्टार्टअप से कड़ी टक्कर मिल रही है। इसका फायदा ग्राहकों को मिल रहा है, जिससे पुरानी कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है। महिन्द्रा फर्स्टच्वायस की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगले दो साल में पुरानी कारों के बाजार में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी तीन गुना बढ़कर 30 फीसदी हो जाने का अनुमान है।