वॉशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति के हेल्थ एडवाजर डॉक्टर एंथनी फौसी के एक बयान या कहें मांग ने चीन की चिंता और बढ़ा दी है। डॉक्टर फौसी ने कहा- अगर हम यह जानना चाहते हैं कि कोरोना वायरस कहां से शुरू हुआ और कैसे फैला तो एक काम बेहद जरूरी है। चीन को 2019 में बीमार हुए उन 9 लोगों की मेडिकल रिपोर्ट्स जारी करनी होंगी, जिनमें बिल्कुल कोरोना जैसे लक्षण पाए गए थे।
डॉक्टर फौसी सिर्फ अमेरिका ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे बेहतर इन्फेक्शियस डिसीज एक्सपर्ट या संक्रामक रोग विशेषज्ञ माने जाते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प के दौर में भी वे कोरोना टास्क फोर्स को लीड कर रहे थे और बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन के दौर में भी इसी पद पर हैं।
फौसी की मांग
एक इंटरव्यू में डॉक्टर फौसी ने कहा- मैं चीन में 2019 में बीमार हुए उन 9 लोगों के मेडिकल रिकॉर्ड्स देखना चाहता हूं, जो अब तक सामने नहीं आए। इससे हम यह पता लग सकते हैं कि यह मामला किसी लैब लीक से जुड़ा है या नैचुरल वायरस है। मैं जानना चाहता हूं कि क्या वो लोग हकीकत में बीमार हुए थे? और अगर वे वास्तव में बीमार हुए थे उनमें क्या लक्षण थे, वे कैसे बीमार हुए?
चीन पर दबाव बढ़ेगा
बाइडेन ने पिछले हफ्ते अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को आदेश दिए थे कि वे वायरस के ओरिजन पर जांच करें और 90 दिन में रिपोर्ट दें। अब फौसी की मांग से चीन पर दबाव बढ़ना तय है। इसकी वजह यह है कि चीन लैब लीक की थ्योरी को खारिज कर रहा है, लेकिन दुनिया का शक इस थ्योरी पर बढ़ता जा रहा है। क्योंकि, चीन कोई भी सबूत साझा करने को तैयार नहीं है। ऐसे में सवाल यह है कि अगर कोरोनावायरस वास्तव में चमगादड़ों या मीट मार्केट से फैला तो चीन को सबूत देने में क्या दिक्कत है।
लैब लीक थ्योरी पर सिर्फ चार पेज
डोनाल्ड ट्रम्प WHO पर उंगलियां उठाते रहे। उसकी फंडिंग भी बंद कर दी। हालांकि, बाइडेन ने इसे अब फिर शुरू कर दिया है। WHO ने जनवरी 2021 के आखिर में कोरोना ओरिजन की जांच शुरू की। उसकी टीम के पास करने को वैसे भी कुछ नहीं छोड़ा गया था। इसकी जांच रिपोर्ट मार्च 2021 में आई। कुल 313 पेज की इस रिपोर्ट से कुछ खास हासिल नहीं हुआ। जिस लैब लीक थ्योरी पर आज दुनिया में जांच की मांग उठ रही है, उस रिपोर्ट में इस थ्योरी को सिर्फ 4 पेज में समेट दिया गया था।