
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच लगातार दूसरे महीने डिजिटल लेनदेन में गिरावट आई है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल के बाद मई महीने में डिटिटल लेनदेन घटा है। वहीं, दूसरी ओर अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।
एनपीसीआई के अनुसार, मई महीने में यूपीआई के माध्यम से लेन देन की मात्रा 2.53 अरब रही, जो अप्रैल और मार्च की तुलना में क्रमश: 4 फीसदी और 7 फीसदी कम है। वहीं मूल्य के हिसाब से लेन-देन 4.9 लाख करोड़ रुपये रहा, जो अप्रैल और मार्च की तुलना में क्रमश: 0.66 फीसदी और 3 फीसदी कम है। डिजिटल लेनदेन में कमी कई राज्यों द्वारा दूसरी लहर को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां बंद होने की वजह से हुई है।
लेनदेन की मात्रा
माध्यम |
मार्च |
अप्रैल |
मई |
यूपीआई (अरब) |
2,73,168 |
2,641.06 |
2,537.60 |
आईएमपीएस |
363.14 |
332.9 |
279.8 |
बीबीपीएस |
35.2 |
35.1 |
39.2 |
फास्टैग |
193.2 |
164.3 |
116.4 |
आंकड़े- मिलियन में
दो दशक के उच्चतम स्तर पर नकदी का चलन
कोरोना संकट के बीच अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन (करेंसी सर्कुलेशन) दो दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआई के आंकड़े के अनुसार, मार्च, 2021 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन बढ़कर 28.6 खबर पहुंच गया। यह पिछले साल के मुकाबले 16.8 फीसदी अधिक है। जानकारों का कहना है कि कोरोना महामारी की अनिश्चितता के कारण सर्तकता बरते हुए लोगों ने नकदी को प्राथमिकता दी है। इससे अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन बढ़ा है। नकदी का चलन में बढ़ोतरी पिछले वित्त वर्ष में देखी गई है वह 2010-11 के बाद का सबसे बड़ा उछाल है।
लेनदेन का मूल्य
माध्यम |
मार्च |
अप्रैल |
मई |
यूपीआई (अरब) |
5,04,886 |
4,93,663 |
4,90,368 |
आईएमपीएस |
3,27,234.43 |
2,99,527.03 |
2,64,241.36 |
बीबीपीएस |
5,195.52 |
5,201.93 |
6,270.31 |
फास्टैग |
3,086.80 |
2,776.90 |
2,125.17 |
आंकड़े- करोड़ रुपये में
एनईएफटी और आरटीजीएस में भी गिरावट
भारतीय रिजर्व बैंक के नैशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रांसफर (एनईएफटी) और रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (आरटीजीएस) से लेनदेन घटा है। एनईएफटी से लेनदेन 10 फीसदी गिरकर 25.65 करोड़ रह गया और इससे 18 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ। आरटीजीएस से मई में लेन-देन 18 फीसदी घटकर 1.23 करोड़ रह गया, जिससे 83,66 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ।
मार्च महीने में रिकॉर्ड लेनदेन हुआ था
मार्च महीने में यूपीआई से रिकॉर्ड 5.04 लाख करोड़ रुपये के 2.73 अरब लेनदेन हुआ था। गौरतलब है कि पिछले साल मई के बाद से डिजिटल लेनदेन में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही थी। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए लोग नकदी को छोड़ डिजिटल लेनदेन तेजी से अपना रहे थे।
सबसे ज्यादा फास्टैग पर असर
कोरोना की दूसरी लहर के बीच डिजिटल भुगतान में लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर फास्टैग पर पड़ा है। मई में फास्टैग से 11.64 करोड़ लेन-देन हुए, जो अप्रैल व मार्च की तुलना में क्रमश: 29 फीसदी और 39 फीसदी कम है। भारत बिल पेमेंट सिस्टम्स (बीबीपीएस) में मई महीने में उछाल आई है और इस प्लेटफॉर्म से 3,92 करोड़ लेन-देन हुआ, जो अप्रैल व मई की तुलना में 11 फीसदी ज्यादा है। वहीं, इमीडिएट पेमेंट सर्विसेज (आईएमपीएस) के माध्यम से लेन-देन में मई में रिकॉर्ड 13.34 फीसदी की कमी आई है, जिसमें लेन-देन की मात्रा घटकर 27.98 करोड़ रह गई। इसका मूल्य पिछले महीने की तुलना में 11 फीसदी गिरकर 2.66 लाख करोड़ रुपये रह गया।
लोगों का नकद पर भरोसा बढ़ा
वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि पिछल साल लॉकडाउन के दौरान भी लोगों ने ज्यादा नकदी जमा की थी। भारतीय समाज की अवधारणा को देखें तो जब भी संकट जैसी स्थिति पैदा हुई है, तब घरों में नकदी जमा करने की प्रवृत्ति रही। यह कारण है कि इस साल भी नकदी की मांग में बढ़ोतरी रही है क्योंकि कोरोना की दूसरी लहर बहुत ही घातक होती जा रही है।