तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी पर तीन माह से बंद पड़े नाव संचालन का आखिरकार समाधान निकल आया है। प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और नाविक संघ की आपसी सहमति से इंजन संबंधी विवाद सुलझ गया है। शुक्रवार को विधायक नारायण पटेल, कलेक्टर ऋषभ गुप्ता, एसपी मनोज राय और पुनासा एसडीएम शिवम प्रजापति ने नाविक संघ अध्यक्ष कैलाश भंवरिया के साथ मिलकर नया पेट्रोल इंजन का ट्रायल किया, जो सफल रहा।
इंजन ट्रायल के बाद जताई संतुष्टि
कलेक्टर ऋषभ गुप्ता ने ट्रायल के बाद इंजन की गुणवत्ता पर संतोष जताते हुए कहा कि पिछले इंजनों की तुलना में यह इंजन बेहतर है और इसकी आवाज भी अपेक्षाकृत कम है। पर्यावरण की दृष्टि से यह इंजन कम प्रदूषणकारी है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इसकी लंबी अवधि की टिकाऊपन और सर्विस क्वालिटी को लेकर अभी समय ही बताएगा।
नाविकों में खुशी की लहर
तीन महीनों से बंद नाव संचालन के चलते आजीविका पर संकट झेल रहे नाविकों के लिए यह निर्णय बड़ी राहत बनकर आया है। नाविकों को अब अपनी पारंपरिक नावों में नए पेट्रोल इंजन लगाकर संचालन की अनुमति मिल सकेगी। इससे न सिर्फ रोज़गार का संकट दूर होगा, बल्कि पर्यटन भी दोबारा गति पकड़ सकेगा।
पूर्व में दिए गए विकल्प हुए थे असफल
प्रशासन ने पहले बैटरी चालित इंजन, सीएनजी इंजन और फाइबर स्पीड बोट के विकल्प पेश किए थे, जिन्हें नाविकों ने तकनीकी और भौगोलिक कारणों से अस्वीकार कर दिया। बैटरी इंजन भारी था और उसकी चार्जिंग व्यवस्था व्यावहारिक नहीं थी। वहीं, फाइबर बोट ओंकारेश्वर की नदी संरचना के लिए उपयुक्त नहीं पाई गई। मां नर्मदा की धाराएं कहीं गहरी तो कहीं उथली हैं, ऐसे में तेज रफ्तार बोट चलाना जोखिम भरा है।
नाविकों ने जताई नाराजगी भी
ओंकारेश्वर नाविक संघ के पूर्व अध्यक्ष भोलाराम केवट ने प्रशासन के निर्णयों पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब अंततः पारंपरिक नावों में ही पेट्रोल इंजन लगाने की अनुमति देनी थी, तो तीन महीने तक नाव संचालन क्यों रोका गया? कई नाविकों ने बैंक से ऋण लेकर महंगे फाइबर बोट और इंजन गुजरात से मंगवाए, जिन पर करीब 6.5 लाख रुपये का खर्च आया। उनका डेमो भी प्रशासन को दिखाया गया, लेकिन अचानक निर्णय बदल दिया गया।