ऑस्ट्रेलिया की पूर्व महिला क्रिकेटर मेल जोन्स ने कहा है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया की महिला क्रिकेट टीम के बीच होने वाली श्रृंखला का नाम भी किसी दिग्गज महिला क्रिकेटर के नाम पर होना चाहिये जिस प्रकार पुरुष टीमों की श्रृंखला को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के नाम से जाना जाता है। आईसीसी की महिला समिति की भी सदस्य जोन्स का यह बयान भारतीय महिला टीम के सितंबर-अक्तूबर में होने वाले ऑस्ट्रेलिया के दौरे से पहले आया है। इस दौरे पर भारतीय महिला टीम को एक टेस्ट (दिन-रात्रि), तीन एकदिवसीय और इतने ही टी20 अंतरराष्ट्रीय मुकाबले खेलने हैं।
जोन्स ने कहा कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की तरह कुछ होना शानदार होगा पर यह अतीत में जो हुआ उसका पुरुष नजरिया है। इसलिए हमें महिलाओं के क्रिकेट में अपने तरीके से बदलावा करना चाहिए और शायद कुछ अलग चीज की जा सकती है। पुरुष और महिला टीमों के बीच होने वाली एशेज ट्रॉफी से जुड़ी इतनी सारी शानदार कहानियां हैं और शायद हम कुछ और विशेष तैयार कर सकते हैं जिसके बारे में अगले 100 साल में उसी तरह बात होगी जैसे एशेज के बारे में होती है।
48 साल की जोन्स ने कहा कि इस तरह की ट्रॉफी के जरिए दोनों देशों के बीच महिला क्रिकेट का इतिहास और इससे जुड़े लोगों की कहानियां बताना शानदार होगा। जोन्स ने कहा कि इस तरह की ट्रॉफी के लिए सोशल मीडिया के जरिए जनता का फैसला लेना शायद सर्वश्रेष्ठ रहेगा।  उन्होंने इस ट्रॉफी के संदर्भ में शांता रंगास्वामी और मारग्रेट जेनिंग्स जैसी दिग्ग्जों के नाम लिए। भारत और आस्ट्रेलिया की महिला टीमों के बीच पहला टेस्ट जनवरी 1977 में वाका में खेला गया था जिसे मेजबान टीम ने 147 रन से जीता था। इस मैच में शांता ने भारत जबकि मारग्रेट ने ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की थी। 
सुविधाएं मिलें तो और बेहतर हो सकती है भारतीय महिला क्रिकेट टीम : इशा 
इंग्लैंड की पूर्व महिला क्रिकेटर इशा गुहा ने कहा है कि अगर सुविधाएं मिलें तो भारतीय महिला टीम भी पुरुष टीम के समान ही विश्व क्रिकेट में शीर्ष पर पहुंच सकती है। इशा ने कहा कि अभी तक महिला और पुरुष टीमों के बीच कई असमानता हैं पर जिस प्रकार की सुविधाएं  पुरुष टीमों को मिलती हैं वैसी ही महिला टीमों को भी मिलें तो वे भी विश्व क्रिकेट में और बेहतर बनकर उभरेंगी। इशा ने कुछ ट्वीट करके उन बातों को बताया जिन पर खेल के हितधारकों को काम करने की जरूरत है जिससे कि समानता हासिल की जा सके। उन्होंने साथ ही कहा कि महिला खेल के विकास के लिए मजबूत खिलाड़ी संघ होना जरूरी है।
इशा ने ट्वीट किया, ‘‘महिलाओं को प्रगति के लिए आभारी महसूस कराया जाता है पर बराबरी हासिल करने के लिए काफी काम करने की जरूरत है, इसमें सिर्फ वेतन की समानता नहीं है। इसके लिए खिलाड़ी संघ होना भी अहम हिस्सा हैं। उनके खेल पर भी पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिये।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ भुगतान/अनुबंध का समय, समर्थन के लिए अच्छा नेटवर्क, अच्छा घरेलू ढांचा, मातृत्व प्रावधान, संन्यास की योजना जैसी चीजें खिलाड़ी संघ के जरिए ही हासिल की जा सकती है।