केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार देशभर में सड़कों खासकर हाईवे की स्थिति सुधारने में लगातार लगी हुई है. कई जगहों पर शानदार हाईवे का जाल भी बिछ गया है और कई जगहों पर काम चल भी रहा है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दावा करते हुए कहा कि अगले 2 सालों में भारत में सड़कों का बुनियादी ढांचा अमेरिका के बराबर हो जाएगा. इसके पीछे उनका कहना है कि सरकार ने पिछले एक दशक में सड़कों और राजमार्गों पर खर्च बढ़ाया है.
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री गडकरी ने देशभर में सड़कों के निर्माण को लेकर समाचार एजेंसी एएनआई को दिए अपने इंटरव्यू में कहा, “हम दिल्ली में इतने हाईवे बना रहे हैं कि हम दिल्ली से देहरादून महज 2 घंटे में, दिल्ली से अमृतसर 3.5 से 4 घंटे में, दिल्ली से कटरा 6 घंटे में तो दिल्ली से श्रीनगर 8 घंटे में, दिल्ली से जयपुर सिर्फ 2 घंटे में पहुंच जाएंगे.”
हाईवे से सफर से समय और पैसे की बचत
देश के अन्य शहरों में बनाए जा रहे हाईवे और ट्रैफिक जाम से निजात को लेकर उन्होंने कहा, “चेन्नई से बेंगलुरु तक का सफर महज 2 घंटे में तो बेंगलुरु से मैसूर एक घंटे में किया जा सकेगा. मेरठ से दिल्ली महज 50 मिनट में पहुंच जाएंगे. हम इस तरह के करीब 25 और ग्रीन एक्सप्रेस हाईवे बना रहे हैं और मुझे लगता है कि इससे देशभर में सड़कों पूरा नक्शा बदल जाएगा. हम उत्तराखंड में केदारनाथ और हेमकुंड रोपवे बना रहे हैं. हम दिल्ली को ट्रैफिक जाम और प्रदूषण की समस्याओं से मुक्त करने के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये की सड़कें बना रहे हैं.”
भारतीय सड़कों का चेहरा कब तक बदलेगा, इस पर नितिन गडकरी ने कहा, “आपने अभी-अभी न्यूज रील देखी है, लेकिन मेन पिक्चर तो अभी शुरू बाकी है. पाइपलाइन में प्रोजेक्ट्स तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. आप अगले दो सालों में, देख पाएंगे कि भारतीय सड़क बुनियादी ढांचा अमेरिका की तरह हो जाएगा.” उन्होंने कहा, “अमेरिका के कुछ लोग मुझसे मिले और उन्होंने कहा कि हमारा बुनियादी ढांचा अमेरिका से कहीं बेहतर है.”
लाजिस्टिक कॉस्ट में आई खासी कमीः गडकरी
उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार की ओर से बिछाई गई अच्छी सड़कों ने भारत में लाजिस्टिक कॉस्ट को काफी कम कर दिया है, इससे निर्यात प्रतिस्पर्धा में और सुधार होगा. उन्होंने कहा, “अगर हम अपने निर्यात को बढ़ाते हैं, तो यह हमारे कृषि क्षेत्र, विनिर्माण और सेवाओं सहित अन्य सभी क्षेत्रों में खासा सुधार करेगा.”
लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को लेकर केंद्रीय सड़क मंत्री ने कहा कि भारत में मुख्य चिंता लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को लेकर हुआ करती थी क्योंकि यह 16 फीसदी थी, जबकि चीन में यह 8 फीसदी और अमेरिका तथा यूरोपीय देशों में 12 फीसदी थी. उन्होंने कहा, “पहले हमारी सड़कें अच्छी नहीं थीं, हमारे बंदरगाह भी अच्छे नहीं थे. यातायात की भीड़भाड़ से लागत काफी बढ़ गई.” उन्होंने दावा करते हुए कहा कि सड़कों में सुधार के साथ बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने लॉजिस्टिक्स कॉस्ट को 9 फीसदी तक कम कर दिया.
अभी भी चल रहे सरकार के कई प्रोजेक्टः गडकरी
सरकार के अगले महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को लेकर केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि 25 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, 3,000 किलोमीटर का बंदरगाह संपर्क राजमार्ग और धार्मिक पर्यटन सर्किटों को जोड़ने वाली 1 लाख करोड़ रुपये की सड़कों का काम चल रहा है. साथ ही उन्होंने बौद्ध सर्किटों और चार धामों को ऑल वेदर रोड यानी हर मौसम में चलने वाली सड़क जोड़ने की बात कही.
जम्मू-कश्मीर के बारे में गडकरी ने बताया, “हम जम्मू और श्रीनगर के बीच 36 सुरंग बना रहे हैं इसमें 23 बन चुकी हैं और 4-5 पर काम चल रहा है. हम पर्वतमाला योजना के तहत 15 रोपवे तैयार कर रहे हैं, इसके अलावा 35 मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क भी हैं.”
लगातार बढ़ता चला गया सड़क नेटवर्क
आज के समय भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सड़क नेटवर्क है, और इसके नेशनल हाईवे करीब 146,000 किलोमीटर की कुल लंबाई में फैले हुए हैं. फरवरी 2025 की शुरुआत में मंत्रालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) नेटवर्क 2004 में 65,569 किमी से बढ़कर 2014 में 91,287 किमी तथा 2024 में 1,46,145 किमी हो जाएगा. इस दौरान चार या अधिक लेन वाले नेशनल हाईवे 2014 में 18,371 किमी से 2.6 गुना बढ़कर 2024 में 48,422 किमी हो गए.
इसी तरह परिचालन हाई-स्पीड कॉरिडोर 2014 में 93 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक आते-आते 2,138 किलोमीटर तक पहुंच गया. नेशनल हाईवे के निर्माण की गति 2014-15 में जहां 12.1 किमी प्रतिदिन थी वो 2.8 गुना बढ़कर 2023-24 में 33.8 किमी प्रतिदिन हो गई.