World Environment Day Special: बीते दो दशक से राजस्थान के थार में 38 प्रतिशत वार्षिक दर से हरियाली में बढ़ोतरी हो रही है। हरियाली का यह सिलसिला केवल 50 साल में ही शुरू हुआ है। केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) जोधपुर की रिपोर्ट के अनुसार थार में 1975, 1979, 1983, 1990 और 2006 में बाढ़ आई थी।
मानसून की शिफ्टिंग
इसके बाद कोई बड़ी बाढ़ तो नहीं आई, लेकिन मानसून की शिफ्टिंग होनी शुरू हो गई। वर्ष 2001 से लेकर 2023 तक मानसूनी बारिश में 64 प्रतिशत इजाफा हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले पचास साल में थार मरुस्थल का भूगोल काफी बदल जाएगा। इसके रेगिस्तान से मैदान में परिवर्तित होने की संभावना है।
प्लेस्टोसिन युग में थार मरुस्थल का निर्माण
पश्चिमी राजस्थान में 2.6 मिलियन वर्ष पहले यानी प्लेस्टोसिन युग में थार मरुस्थल का निर्माण शुरू हुआ, जो 11,700 वर्ष पहले समाप्त हो गया। इतने लम्बे समय में जलवायु में कोई खास बदलाव नहीं आया, लेकिन 1975 से शुरू हुए बदलाव के सिलसिले ने मरुस्थल के भूगोल, पारििस्थतिकी और जैव विविधता को काफी बदल दिया है।
10 साल में ही 10 फीसदी बढ़ गई बारिश
काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर की डिकोडिंग इंडियाज चेंजिंग मानसून पैटर्न रिपोर्ट के अनुसार देश की 55 फीसदी तहसीलों में पिछले दशक (2012-2022) में बारिश में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मानसूनी बारिश में सर्वाधिक बढ़ोतरी राजस्थान और गुजरात के उन सूखाग्रस्त क्षेत्रों में हुई है, जो थार मरुस्थल का भाग माने जाते हैं। जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर में 80 प्रतिशत तक बारिश बढ़ी है। गुजरात के कच्छ के रण में भी बारिश में 100 प्रतिशत से अधिक का इजाफा हुआ है।
पूरे प्रदेश के संदर्भ में देखें तो पश्चिमी राजस्थान में ही बड़ा बदलाव देखने को मिला है। यहां तेजी से पर्यावरण बदल रहा है।
– डॉ.ओपी यादव, पूर्व निदेशक, काजरी जोधपुर