
भोपाल । प्रदेश के कॉलेजों में पदस्थ अतिथि विद्वानों को वेतन देने के लिए उच्च शिक्षा विभाग ने बजट आवंटित कर दिया है, इसके बावजूद वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। अतिथि विद्वानों के बकाया वेतन के लिए साढे 11 करोड रुपये का बजट आवंटित किया है, लेकिन प्राचार्यों की मनमानी के कारण अतिथि विद्वानों को वेतन काटकर दिया जा रही है। विभाग ने कॉलेज प्राचार्यों को 10 फीसद स्टॉफ के साथ कार्य करने के निर्देश दिए है। वहीं कॉलेजों में ग्रीष्मावकाश के कारण छुट्टी घोषित कर दी गई है। इस कारण कॉलेजों में एक या दो दिन अतिथि विद्वानों को बुलाया जा रहा है और वेतन में भी कटौती की जा रही है। विभाग ने एक अतिथि विद्वान के भुगतान के हिसाब से 33 हजार रुपये के हिसाब से बजट जारी किया है। हालांकि विभाग ने अतिथि विद्वान की वास्तविक उपस्थिति के आधार पर वेतन देने के आदेश दिए हैं। साथ ही विभाग ने शासन के निर्देशों का पालन करते हुए भुगतान करने के लिए कहा है। विभाग के इस आदेश के बाद अतिथि विद्वानों में नाराजगी है। वहीं कॉलेज प्राचार्य भी अतिथि विद्वानों करे मनमाने तरीके से वेतन का भुगतान कर रहे हैं। कई कॉलेजों में जहां कार्यदिवस के आधार पर पूरा वेतन दिया जा रहा है। वहीं कुछ कॉलेजों में उनका वेतन काटा जा रहा है। अतिथि विद्वानों का कहना है कि प्राचार्य उन्हें ग्रीष्मावकाश में कॉलेज जाने से मना कर रहे हैं। उनका कहना है कि ये छुट्टियां उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं ली हैं। कोरोना के कारण यह व्यवस्था की गई है, इसलिए उनका वेतन काटा जाना गलत है, जबकि शासन ने कोरोना काल में पूरा वेतन के निर्देश विभाग और कॉलेजों को दिए हैं। बता दें, कि प्रदेश के 489 सरकारी कॉलेजों में करीब पांच हजार अतिथि विद्वान कार्यरत हैं। अतिथि विद्वान नियमित स्टाफ के साथ कंधा से कंधा मिला पठन पाठन का कार्य कर रहे हैं। इसके बावजूद उनके साथ न्याय नहीं किया जा रहा है।