भोपाल: पांच महीने से मीडिया में दौड़ रही मध्य प्रदेश बीजेपी के नए अध्यक्ष के घोषणा की खबर मुकाम तक नहीं पहुंच पाई. भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में ये संभवत सबसे लंबा इंतजार है कि जब मध्य प्रदेश में पूरी बीजेपी बेसब्र होकर नए अध्यक्ष की बाट जोह रही है, लेकिन अब तक पार्टी में इस एक नाम पर बहुप्रतीक्षित मुहर नहीं लग पाई है. पहलगाम के आतंकी हमले और फिर तनाव के बाद अब सीजफायर के एलान के साथ मध्य प्रदेश में बीजेपी कार्यकर्ताओं को फिर उम्मीद बंध रही है कि क्या अब एमपी में बीजेपी को नया नेतृत्व जल्द मिल जाएगा. प्रदेश में बीजेपी संगठन के चुनाव की जिम्मेदारी संभाले पार्टी के वरिष्ठ नेता धर्मेन्द्र प्रधान पहले दौर की मध्य प्रदेश यात्रा भी नहीं कर पाए हैं.

कार्यकर्ता का सवाल और कितना इंतजार
मध्य प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में बीते तीन महीने से सन्नाटा है. आवेदन लेकर और अपनी नई भूमिका की तलाश में पार्टी मुख्यालय पहुंचने वाले कार्यकर्ता भी हताश हैं. जानते हैं कि अभी सारे कागज और प्रक्रियाएं लंबित ही रह जाएंगी. अब जो भी होगा पार्टी संगठन में हुई नए बदलाव के बाद ही होगा. खरगोन से आए कार्यकर्ता नंदपटेल का ये दो महीने में भोपाल का तीसरा दौरा है. वे निराश स्वर में कहते हैं, जनवरी में पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाना था, लेकिन अब तक नहीं मिल पाया है. पार्टी में मेरे जैसे कई कार्यकर्ता हैं. जो ये जानते हैं कि हम जैसे कार्यकर्ताओं को नई भूमिका तभी मिल पाएगी, जब संगठन में नया नेतृत्व आएगा, जो लंबे समय से लंबित है.

 

पार्टी की अपनी कार्य पद्धति है उसी के अनुरुप होगा निर्णय
मध्य प्रदेश में पार्टी के अध्यक्ष के चुनाव पर हो रही देरी के संबंध में सवाल किए जाने पर पार्टी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल कहते हैं कि "भारतीय जनता पार्टी दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है. यहां किसी की एक की च्वाइस पर निर्णय नहीं होते. संगठन की पूरी एक प्रक्रिया है. उसी के अनुरुप निर्णय किये जाते हैं. मंथन विचार के बाद जो निर्णय समय आने पर लिया जाएगा, वो सबके सामने होगा. भारतीय जनता पार्टी में कोई भी निर्णय पूरे विचार मंथन और प्रक्रिया के बाद ही होता है."

 

ऊपर से पर्ची नहीं आई इसलिए नाम अटका है
कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता संगीता शर्मा कहती हैं कि "देरी की सीधी वजह ये है जो सब जानते भी हैं कि अभी ऊपर से पर्ची नहीं आई है. बीजेपी में सारे निर्णय ऊपर से होते हैं. कार्यकर्ता केवल निर्णय सुनने के लिए हैं. ऊपर से एक नाम की पर्ची आएगी, जिसे कार्यकर्ताओं को स्वीकार करना है. इसी तरह की पर्ची मुख्यमंत्री की भी आई थी. अब देखिएगा इसी तरह से प्रदेश अध्यक्ष के लिए भी एक नाम की पर्ची आ जाएगी. भले प्रदेश के दिग्गज बीजेपी नेता एड़ी चोटी का जोर लगाते रहे. जो हाईकमान से नाम तय होकर आएगा, उसे स्वीकार करना पडेगा."