कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में सामने आए बहुचर्चित डीएमएफ घोटाले की जांच तेज हो गई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए चार तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है। सभी को विशेष न्यायालय में पेश कर 13 मई तक रिमांड पर लिया गया है। जांच में यह भी पता चला है कि इन अधिकारियों ने तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू से मिलीभगत कर ठेकों के वितरण में भारी अनियमितताएं की थीं। ईडी की रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में आईपीसी की धारा 120-बी और 420 के तहत मामला दर्ज किया है। ईओडब्ल्यू ने दर्ज किया मामला: ईओडब्ल्यू ने डीएमएफ (जिला खनिज संस्थान) घोटाले में भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी और 420 के तहत मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई ईडी की विस्तृत रिपोर्ट के आधार पर की गई, जिसमें ठेका प्रक्रिया में सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार और अवैध लाभ लेने की बात सामने आई है।
रानू साहू का नाम शामिल
जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि कोरबा की तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू, जो वर्तमान में निलंबित हैं और जेल जा चुकी हैं, इन गिरफ्तार अधिकारियों के साथ घोटाले में शामिल थीं। इन अधिकारियों के नाम घोटाले के चालान में पहले से ही दर्ज हैं।
गिरफ्तार अधिकारियों के नाम
- भरोसा राम ठाकुर (तत्कालीन नोडल अधिकारी, डीएमएफटी)
- भुनेश्वर सिंह राज (तत्कालीन सीईओ, जिला)
- राधेश्याम मिर्जा (तत्कालीन सीईओ, जिला)
- वीरेंद्र कुमार राठौर (तत्कालीन सीईओ, जिला)
- सभी को विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 13 मई तक रिमांड पर भेज दिया गया है।
40% तक कमीशन बांटा गया
ईओडब्ल्यू की जांच में यह भी पता चला है कि अधिकारियों ने टेंडर देने के एवज में ठेकेदारों से मोटी रकम वसूली थी। टेंडर की राशि का करीब 40 प्रतिशत हिस्सा ठेके के नाम पर कमीशन के तौर पर आपस में बांट लिया गया था। इस घोटाले में सरकारी नियमों की बड़ी अवहेलना की गई है।