उत्तर प्रदेश के बिजनौर में पांच लोगों ने बिना अनुमति 17 आम के पेड़ काट डाले. अब इस मामले में 6 साल बाद एक्शन लिया गया है. पांचों आरोपियों के खिलाफ 2.66 करोड़ रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति की मांग करते हुए चार्जशीट दाखिल कर दी है. यह पहली बार है जब उत्तर प्रदेश में बिना अनुमति आम के पेड़ काटने पर इतनी बड़ी राशि का जुर्माना लगाया गया है. मामले की पहली सुनवाई 20 मई 2025 को होगी.

दरअसल, 17 नवंबर 2019 को वन विभाग की टीम को गांव यूसुफपुर हमीद में ब्रजपाल सिंह के खेत में 17 आम के पेड़ों के अवैध कटान की सूचना मिली थी. छापे के दौरान टीम ने पाया कि पेड़ों को बिना किसी वैध अनुमति के काटकर उनकी लकड़ी एक ट्रैक्टर में लादी जा रही थी. टीम ने तुरंत ट्रैक्टर जब्त कर लिया और मामले में पांच लोगों के खिलाफ उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

नोटिस भेजा, कोर्ट में नहीं हुए पेश

इस मामले में ब्रजपाल सिंह, मजहर, यामीन, तहजीब और शाहिद पर आरोप लगाए गए। 17 मार्च 2025 को आरोपियों को डाक के माध्यम से अपना पक्ष रखने का नोटिस भेजा गया, लेकिन वे कोर्ट में पेश नहीं हुए. इस आधार पर वन विभाग ने माना कि आरोपी अपना अपराध स्वीकार करते हैं.

कटे पेड़ों की आयु थी 15 साल

जांच में पाया गया कि काटे गए पेड़ों की आयु लगभग 15 साल थी. सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय पर्यावरण समिति के मानकों के अनुसार, एक पेड़ के कटने से एक साल में 74,500 रुपये की पर्यावरणीय क्षति होती है. इस हिसाब से 17 पेड़ों के कटने पर कुल क्षति 2,65,96,500 रुपये आंकी गई. इसके अलावा वन विभाग ने 85,000 रुपये का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है. वन विभाग ने पांचों आरोपियों पर कुल 2,66,81,500 रुपये (2.66 करोड़) का जुर्माना लगाने की सिफारिश करते हुए चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM) कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी है. मामले की पहली सुनवाई 20 मई 2025 को होगी.