नई दिल्ली । भारतीय सेना को रूस से अत्याधुनिक इग्ला-एस एयर डिफेंस मिसाइलें प्राप्त हुई हैं, जिससे देश की वायु रक्षा क्षमता में बड़ा इज़ाफा हुआ है। इन्हें अग्रिम मोर्चों पर तैनात किया जा रहा है ताकि दुश्मन के लड़ाकू विमान, ड्रोन और अटैक हेलिकॉप्टर को बेहद करीब से मार गिराया जा सके। इन मिसाइलों की आपूर्ति 250 करोड़ रुपये के विशेष खरीद अनुबंध के तहत की गई है, जिसे भारतीय सेना ने रूस के साथ हस्ताक्षरित किया था। यह सौदा तत्काल परिचालन ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए किया गया है ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में वायु रक्षा को और सुदृढ़ किया जा सके। इस इन्वेंट्री बूस्ट से पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे पर सेना की मिसाइल क्षमता और मजबूत होगी।
अचूक निशाना लगाती है ये मिसाइल
सेना और वायुसेना के पास 1989 से ही पुरानी इग्ला-1एम सिस्टम है, लेकिन कंधे से दागी जाने वाली इग्ला-एस एक बेहतर संस्करण है जिसकी इंटरसेप्शन रेंज 6 किलोमीटर तक है। इन्हें एक सैनिक कंधे पर रखकर चला सकता है। ये लक्ष्य को पहचानने और लॉक करने के बाद ये अपने आप उसे भेद देती हैं। इग्ला-एस एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल का वजन 10.8 किलोग्राम होता है। जबकि पूरे सिस्टम का वजन 18 किलोग्राम। सिस्टम की लंबाई 5.16 फीट होती है। व्यास 72 मिलिमीटर। इस मिसाइल की नोक पर 1.17 किलोग्राम वजन का विस्फोटक लगाया जाता है। ढ्ढद्दद्यड्ड-स् की रेंज 5 से 6 किलोमीटर है। अधिकतम 11 हजार फीट तक जा सकती है। यह मिसाइल 2266 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से टारगेट की तरफ बढ़ती है। यानी दुश्मन को बचने का मौका कम ही मिलता है।
वायुसेना की भी बढ़ेगी ताकत
रक्षा सूत्रों के अनुसार, भारतीय सेनाओं को वायु रक्षा को बढ़ावा देने के लिए और अधिक उपकरण मिलेंगे क्योंकि वायु सेना ने भी इसी तरह के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि समन्वित तरीके से देश की वायु सीमाओं को बहुस्तरीय सुरक्षा प्रदान की जा सके। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब भारत को पाकिस्तान और चीन दोनों ओर से वायु और ड्रोन खतरों का सामना करना पड़ सकता है। इन मिसाइलों के आने से भारतीय सेना की प्रतिक्रिया क्षमता में काफी तेजी और सटीकता आएगी।