
झारखंड में मंत्री हफीजुल हसन को मिली डॉक्टरेट की उपाधि के मामले ने तूल पकड़ रखा है. झारखंड बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन अंसारी की डॉक्टरेट की उपाधि फर्जी है. उन्होंने एक फर्जी यूनिवर्सिटी से ये डिग्री ली है. मंत्री की फर्जी डिग्री और फर्जी यूनिवर्सिटी का पाकिस्तान कनेक्शन है. अजय साह ने दावा किया है कि मंत्री हफीजुल हसन अंसारी को ‘भारत वर्चुअल ओपन एजुकेशन यूनिवर्सिटी’ नामक संस्थान से डॉक्टरेट की उपाधि दी गई है. मगर, हकीकत ये है कि वो संस्थान ही फर्जी है और यूजीसी से मान्यता प्राप्त नहीं है.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि जिस यूनिवर्सिटी से मंत्री को डॉक्टरेट की उपाधि मिली है उस यूनिवर्सिटी को ना तो भारत सरकार और ना ही झारखंड सरकार से कोई मान्यता मिली है. पिछले दिनों मंत्री हफीजुल अंसारी ने सही कहा था कि वो संविधान से ऊपर शरीयत को मानते हैं. इसका प्रमाण भी उन्होंने दे दिया है जिस भारत वर्चुअल ओपन एजुकेशनल यूनिवर्सिटी से उन्होंने फर्जी डिग्री हासिल की उस यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और वहां के तमाम पदधिकारी भी एक खास समुदाय विशेष से ताल्लुक रखते हैं.
मंत्री की उपाधि का पूरा नेटवर्क पाकिस्तान से जुड़ा
उन्होंने दावा किया कि झारखंड सरकार के मंत्री ने जिस फर्जी यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की है उसका सेंट्रल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी अफ्रीका से एफिलिएशन बताया जाता है. जबकि गहनता से जांच में पता चला कि सेंट्रल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी अफ्रीका के कुलपति डॉक्टर उस्मान को पाकिस्तान के इस्लामाबाद की एक संस्था द्वारा प्रोफेसर की उपाधि प्रदान की गई है. यानी जिस यूनिवर्सिटी के कुलपति को पाकिस्तान से प्रोफेसर की उपाधि मिली है, उस संस्थान से एफिलेटेड एक फर्जी यूनिवर्सिटी जो कागजों पर है, उससे मंत्री हफीजुल हसन ने फर्जी डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है.
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि कहीं ना कहीं इन सबका आपस में कनेक्शन है. मंत्री की उपाधि का पूरा नेटवर्क पाकिस्तान से जुड़ा हुआ है. ऐसे में इस पूरे प्रकरण और पाकिस्तान लिंक की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. ताकि सच सामने आ सके और अगर कोई मंत्री ही कानून का उल्लंघन करता है तो सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. शिक्षा व्यवस्था और लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे, इसके लिए इस पूरे प्रकरण की जांच होनी चाहिए.
इस तरह के मामलों को तूल देते हैं बीजेपी के नेता
बीजेपी प्रवक्ता के इस बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने मंत्री का बचाव करते हुए कहा कि बीजेपी के नेताओं को हफीजुल हसन अंसारी का फोबिया हो गया है. जनहित के मुद्दों पर मौन रहने वाली बीजेपी के नेता इस प्रकार के मामलों को तूल देते हैं जबकि हकीकत ये है कि उस यूनिवर्सिटी को मान्यता प्राप्त है. यूनिवर्सिटी ने मंत्री हफीजुल हसन को मानद उपाधि दी है. वो कोई नौकरी लेने नहीं जा रहे हैं. उन्हें सम्मान में डिग्री दी गई है. रही बात डिग्रियों की तो भाजपा को अपने सांसद से लेकर प्रधानमंत्री तक की डिग्रियों का प्रमाण देना चाहिए. सांसद निशिकांत दुबे ने तो 10 साल की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा पास कर ली थी. कैसे पास की थी…यह भी बताना चाहिए?