
केंद्र सरकार ने डायरेक्ट टैक्स ‘विवाद से विश्वास योजना 2024’ के तहत टैक्स विवादों को सुलझाने के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 30 अप्रैल 2025 तय की है। वित्त मंत्रालय ने 8 अप्रैल 2025 को जारी एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी थी। इसमें कहा गया कि इस योजना का मकसद आयकर से जुड़े पुराने विवादों को बिना कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाए सुलझाना है, ताकि टैक्सपेयर्स को राहत मिले और सरकार को भी राजस्व प्राप्त हो। यह योजना 2020 में शुरू हुई पहली विवाद से विश्वास योजना की सफलता के बाद दोबारा लाई गई है, जिसमें 1,46,701 विवाद सुलझाए गए थे। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार योजना को पहले जैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली है, जिसके कई कारण हो सकते हैं।
इस योजना के तहत टैक्सपेयर्स को विवादित टैक्स की राशि और उस पर एक निश्चित प्रतिशत अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। इसके बदले में आयकर विभाग ब्याज, जुर्माना और अन्य दंडों को माफ कर देगा, जिससे विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। आइए, इस योजना के बारे में विस्तार से समझते हैं कि यह क्या है, इसके लिए कौन आवेदन कर सकता है, और टैक्सपेयर्स को क्या करना होगा।
‘विवाद से विश्वास योजना’ है क्या?
डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास स्कीम 2024 की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में केंद्रीय बजट के दौरान की थी। यह स्कीम 1 अक्टूबर 2024 से लागू हुई। इसका मुख्य उद्देश्य आयकर से जुड़े लंबित मामलों को खत्म करना है, जो कई सालों से कोर्ट और अपील प्रक्रिया में अटके हैं। इस स्कीम के जरिए टैक्सपेयर्स विवादित टैक्स की राशि और उसका एक निश्चित हिस्सा चुकाकर ब्याज और जुर्माने से पूरी तरह छूट पा सकते हैं।
सरकार ने कहा कि इस स्कीम को “विवाद से विश्वास” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सरकार और टैक्सपेयर्स के बीच भरोसा बढ़ाने का काम करती है। इससे न केवल टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी, बल्कि कोर्ट और आयकर विभाग पर लंबित मामलों का बोझ भी कम होगा। इस स्कीम को “विवाद से विश्वास 2.0” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह 2020 में शुरू हुई पहली स्कीम का बेहतर और नया संस्करण है।
इसके अलावा, यह स्कीम सरकार के लिए समय पर राजस्व जुटाने का भी एक तरीका है। इस स्कीम के जरिए सरकार 2.7 करोड़ टैक्स विवादों को सुलझाने की उम्मीद कर रही है, जिनकी कुल कीमत करीब 35 लाख करोड़ रुपये है। यह स्कीम छोटे-बड़े सभी टैक्सपेयर्स के लिए खुली है, जो अपने टैक्स विवादों को जल्दी और आसानी से खत्म करना चाहते हैं।
उदाहरण के लिए अगर किसी टैक्सपेयर का आयकर विभाग के साथ विवाद चल रहा है। विभाग का कहना है कि टैक्सपेयर की आय 150 रुपये है, जिस पर 25 रुपये टैक्स देना होगा। लेकिन टैक्सपेयर का मानना है कि उसकी आय सिर्फ 100 रुपये है और टैक्स 10 रुपये बनता है। यह मामला कोर्ट में पहुंच गया, लेकिन अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ। ऐसे में, अगर टैक्सपेयर इस योजना के तहत विवाद सुलझाना चाहता है, तो उसे विवादित टैक्स यानी 15 रुपये (25 रुपये – 10 रुपये) और उस पर एक निश्चित प्रतिशत अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। इसके बाद विभाग ब्याज, जुर्माना और अन्य दंड माफ कर देगा।
वित्त मंत्रालय की 8 अप्रैल 2025 की अधिसूचना के अनुसार, इस योजना के तहत आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल 2025 है। यह योजना टैक्सपेयर्स को कोर्ट के चक्कर से बचाने और सरकार को लंबित मामलों का बोझ कम करने में मदद करती है। 2020 की योजना में सरकार को भारी राजस्व प्राप्त हुआ था, जिसके चलते इस योजना को दोबारा शुरू किया गया।
हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार कमिश्नर स्तर पर अपीलों का निपटारा न होना और मार्च 2025 तक टैक्स ऑफिस द्वारा पारित नए आदेशों के कारण विवादों की संख्या बढ़ने की संभावना जैसी कई चुनौतियां सरकार के सामने हैं।
कौन कर सकता है आवेदन?
इस योजना का लाभ वही टैक्सपेयर्स उठा सकते हैं, जिनके टैक्स विवाद 22 जुलाई 2024 तक किसी न किसी अपीलीय प्राधिकरण (जैसे कमिश्नर, ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट) में लंबित हैं। इसके अलावा, कुछ खास शर्तों के आधार पर भी पात्रता तय की गई है। ये शर्तें इस प्रकार हैं:
- अगर टैक्सपेयर या आयकर विभाग ने 22 जुलाई 2024 तक अपील, रिट याचिका या विशेष अनुमति याचिका दायर की है और यह मामला लंबित है।
- अगर टैक्सपेयर ने डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन पैनल (DRP) के सामने आपत्ति दर्ज की है और 22 जुलाई 2024 तक DRP ने कोई निर्देश जारी नहीं किया है।
- अगर DRP ने निर्देश जारी किए हैं, लेकिन Assessing Officer ने 22 जुलाई 2024 तक आकलन पूरा नहीं किया है।
- अगर टैक्सपेयर ने आयकर अधिनियम की धारा 264 के तहत पुनरीक्षण के लिए आवेदन किया है और यह आवेदन 22 जुलाई 2024 तक लंबित है।
क्लियर टैक्स से जुड़ी टैक्स एक्सपर्ट शेफाली मुद्रा कहती हैं, “अगर कोई अपील 22 जुलाई 2024 के बाद दायर की गई है, लेकिन वह 22 जुलाई 2024 से पहले के आदेशों से संबंधित है और अपील दायर करने की समय सीमा 22 जुलाई 2024 तक उपलब्ध थी, तो ऐसी अपील को भी इस योजना के लिए लंबित माना जाएगा। हालांकि, अगर अपील देरी से दायर की गई और इसके लिए देरी माफी का आवेदन दिया गया है, तो वह इस योजना के दायरे में नहीं आएगी।”
हालांकि, कुछ मामले इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं, जैसे कि सर्च और जब्ती से जुड़े मामले। शेफाली के मुताबिक अनुसार, यह योजना उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है, जिनके मामले अपीलीय प्राधिकरणों में लंबित हैं और वे विवाद को जल्दी सुलझाना चाहते हैं।
कितना देना होगा टैक्स?
इस योजना के तहत टैक्सपेयर्स को विवादित टैक्स की राशि और उस पर एक निश्चित प्रतिशत अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। यह राशि इस बात पर निर्भर करती है कि विवाद कब से लंबित है और उसकी प्रकृति क्या है। अगर कोई अपील 22 जुलाई 2024 तक लंबित है, तो टैक्सपेयर को विवादित टैक्स का 110% चुकाना होगा।
मान लीजिए एक कंपनी का 10 लाख रुपये की आय को लेकर विवाद है। अगर कंपनी नई टैक्स व्यवस्था में है, जहां प्रभावी टैक्स दर 25.17% है, तो इस आय पर मूल टैक्स 2,51,700 रुपये बनता है। इस योजना के तहत कंपनी को 110% यानी 2,76,870 रुपये चुकाने होंगे।
शेफाली कहती हैं, “अगर विवाद 31 जनवरी 2020 के बाद से लंबित है, तो टैक्सपेयर को 110% टैक्स देना होगा। लेकिन अगर विवाद 31 जनवरी 2020 से पहले का है, तो 120% टैक्स चुकाना होगा। इसके अलावा, अगर विवाद केवल ब्याज या जुर्माने से जुड़ा है, तो 31 जनवरी 2020 के बाद के मामलों में 30% और उससे पहले के मामलों में 35% राशि चुकानी होगी।”
टैक्सपेयर्स कैसे करें आवेदन ?
टैक्सपेयर्स को इस योजना का लाभ उठाने के लिए 30 अप्रैल 2025 तक फॉर्म 1 में घोषणा पत्र दाखिल करना होगा। आवेदन स्वीकार होने के बाद डेजिग्नेटेड अथॉरिटी 15 दिनों के भीतर फॉर्म 2 में एक सर्टिफिकेट जारी करेगी, जिसमें चुकाई जाने वाली टैक्स राशि का उल्लेख होगा। टैक्सपेयर को इस सर्टिफिकेट के मिलने के 15 दिनों के भीतर (यानी 30 मई 2025 तक) फॉर्म 3 दाखिल करके टैक्स राशि जमा करनी होगी। इसके बाद अथॉरिटी फॉर्म 4 में आदेश जारी करेगी, जिसमें टैक्स जमा होने की पुष्टि होगी और विवाद खत्म हो जाएगा।
शेफाली मुद्रा का कहना है कि यह योजना टैक्सपेयर्स के लिए सुनहरा मौका है। अपील और हाई कोर्ट स्तर पर लंबित मामलों की भारी संख्या को देखते हुए यह योजना विवादों को सुलझाने में बहुत मददगार है। टैक्सपेयर्स को समय पर आवेदन करके ब्याज और जुर्माने में छूट का लाभ उठाना चाहिए।
एक्सपर्ट का सुझाव है कि टैक्सपेयर्स को अपने मामलों की स्थिति की जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका विवाद योजना की पात्रता शर्तों को पूरा करता है। इसके लिए टैक्स सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद लेना फायदेमंद हो सकता है।
अब आगे क्या?
विवाद से विश्वास योजना 2024 टैक्सपेयर्स और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद हो सकती है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि योजना की सफलता के लिए कुछ और कदम उठाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, 22 जुलाई 2024 की पात्रता तारीख को बढ़ाकर नए विवादों को भी शामिल किया जा सकता है। इससे उन टैक्सपेयर्स को भी मौका मिलेगा, जिनके मामले मार्च 2025 तक टैक्स ऑफिस के नए आदेशों के कारण शुरू हुए हैं।
शेफाली कहती हैं, “यह योजना न केवल टैक्सपेयर्स को कोर्ट के लंबे चक्कर से बचाती है, बल्कि सरकार को भी लंबित मामलों को कम करने और राजस्व जुटाने में मदद करती है। टैक्सपेयर्स के लिए यह सलाह है कि वे समय रहते अपने विवादों की जांच करें और 30 अप्रैल 2025 की समय सीमा से पहले आवेदन कर लें। इससे न केवल उनकी परेशानी कम होगी, बल्कि वे ब्याज और जुर्माने से भी बच सकेंगे।”