सरिस्का टाइगर रिजर्व स्थित पांडुपोल मंदिर तक इलेक्ट्रिक (EV) बसें चलाने के लिए चार्जिंग स्टेशन नहीं बन पा रहा है। इसके लिए सरकार अब तक जमीन नहीं दे पाई है। इस वजह से बसों के संचालन में लगातार देरी हो रही है। पेट्रोल-डीजल के वाहन सरिस्का में मंगलवार व शनिवार को चल रहे हैं, जिसका वन्यजीवों पर विपरीत असर पड़ रहा है।
EV बसें चलाने में देरी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पांडुपोल मंदिर तक EV बसें चलाने के आदेश हैं। उसी कड़ी में सरिस्का प्रशासन ने तैयारी की है। बसों के संचालन के लिए साउथ की एक फर्म को बुलाया गया और उससे EV बसों का ट्रायल कराया गया। यह पास हो गया। इसके बाद बसों का टेंडर राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम को करना था, जो अब तक नहीं हो पाया। दूसरी कड़ी में प्रशासन ने टहला गेट के पास और भर्तृहरि धाम के पास चार्जिंग स्टेशन के लिए जमीन देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था, जो अब तक वन विभाग को नहीं मिली। विभाग को जमीन मिलते ही यह संबंधित बस फर्म को दे दी जाएगी ताकि चार्जिंग स्टेशन बन सकें। क्योंकि चार्जिंग स्टेशन तैयार करने में भी दो से तीन माह का समय लगेगा, जबकि प्रक्रिया नवंबर से पहले पूरी करनी है।
मंदिर के पास पार्किंग के लिए पर्याप्त जगह
EV बसों की संया पहले चरण में 20 होगी। इन बसों के खड़ा करने के लिए पार्किंग की सुविधा पांडुपोल मंदिर के पास है। उसमें कुछ सुधार किया जाना बाकी है। इसके अलावा ग्रेवल की सड़क भी बनाई जानी है। इसकी अनुमति भी एनटीसीए से नहीं आई है। सभी प्रक्रियाएं कहीं न कहीं पर अटकी हुई हैं। सड़क निर्माण में भी दो माह का समय लगेगा। साथ ही बारिश का सीजन ढाई माह का होता है। इस बीच काम भी नहीं हो पाएगा। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना होना मुश्किल है।