पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हिंसा की घटनाओं की जांच कराने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास एक ज्ञापन भेजा गया है। इस पर पूर्व जजों और रिटायर्ड अफसरों समेत कुल 146 लोगों के दस्तखत हैं। इनका कहना है कि इन घटनाओं की जांच SIT से कराई जाए और इसकी निगरानी का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस को दिया जाए।

ज्ञापन में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल सीमा से सटा संवेदनशील राज्य है। यहां देश की संस्कृति और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाली घटनाओं की जांच NIA के हवाले की जानी चाहिए।

ऐसी हिंसा संविधान के सिद्धांतों के खिलाफ

17 पूर्व जज, 63 रिटायर्ड सिविल सर्वेंट, 10 पूर्व राजदूत और आर्म्ड फोर्स के 56 पूर्व अधिकारियों के दस्तखत वाले ज्ञापन में कहा गया है कि चुनाव के नतीजों के बाद पश्चिम बंगाल में चौंकाने वाली प्रकृति और बदले की भावना से हिंसा देखी गई है। यह संविधान के उस सिद्धांत के खिलाफ है, जिसमें शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए सत्ता परिवर्तन में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।

ये घटनाएं राज्य के आतंक को दिखाती हैं

पूर्व प्रशासनिक अधिकारियों के इस ग्रुप का कहना है कि ऐसे हालात में स्टेट मशीनरी, खास तौर से पुलिस की प्रतिक्रिया सहज और सुरक्षात्मक होनी चाहिए थी। उन्होंने आरोप लगाया कि ये घटनाएं राज्य के आतंक को दिखाती हैं। यह साफ है कि राजनीतिक हिंसा की वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें राज्य में लॉ एंड ऑर्डर की चूक का नतीजा समझा जाना चाहिए।

राजनीतिक हिंसा लोकतांत्रिक मूल्यों का अभिशाप है। इन मूल्यों को हर कीमत पर बचाकर रखा जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रपति के दखल की मांग करते हुए कहा कि इस तरह की हिंसा को भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों की जड़ों पर हमला करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

इन लोगों ने किए दस्तखत

राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन पर दस्तखत करने वालों में पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी, महाराष्ट्र के पूर्व DGP प्रवीण दीक्षित, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस बीसी पटेल, पूर्व विदेश सचिव शशांक, पूर्व रॉ चीफ संजीव त्रिपाठी, लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) विनोद चोपड़ा, पूर्व सदस्य CVC सुधीर कुमार और पूर्व पेट्रोलियम सेक्रेटरी सौरभ चंद्रा शामिल हैं।

तृणमूल की वापसी के बाद हुई थीं हिंसक झड़पें

राज्य में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मई को घोषित किए गए थे। इसमें बड़ी जीत के साथ तृणमूल कांग्रेस दोबारा सत्ता में लौट आई। नतीजे आने के बाद हिंसा का दौर शुरू हो गया था। कई जिलों में BJP और सत्ताधारी दल के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं। BJP कार्यालयों पर हमले किए गए थे। हालात इतने खराब हो गए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को फोन कर बंगाल में आगजनी और हत्याओं पर चिंता जाहिर की थी।