
बांग्लादेश के कुमिला का काजी सलाउद्दीन हर मेहनती मजदूर की तरह अपने परिवार के उज्जवल भविष्य के लिए अक्टूबर 2022 सऊदी अरब काम करने गया था. लेकिन बमुश्किल एक साल बाद उसके परिवार को उसकी लाश सऊदी से वापस लौटाई गई. काजी सलाउद्दीन सिर्फ 44 साल के उम्र में दो बेटियों और एक बेटे को छोड़ दुनिया से चला गया.
उसकी अचानक मौत ने परिवार को हैरान कर दिया. सऊदी अधिकारियों ने उसकी मौत का कारण दिल का दौरा बताया है. लेकिन उनके परिवार को इस बात पर यकीन नहीं है, क्योंकि उनको कभी दिल से जुड़ी कोई समस्या या कोई अन्य बीमारी नहीं थी. ये बस सलाउद्दीन की कहानी नहीं है, हर साल बांग्लादेश के हजारों प्रवासी मजदूर की लाश बांग्लादेश आती है और ये आंकड़ा पिछले कुछ सालों में बढ़ गया है.
हर साल 4 हजार बांग्लादेशियों की विदेशों में मौत
बांग्लादेश ने माइग्रेंट वर्कर्स के शव को लेकर आंकड़ा जारी किया है. इसके मुताबिक खाड़ी देशों से 2023 में 4,552, 2022 में 3,904 और 2021 में 3,818 लाशें बांग्लादेश भेजी गई. 2024 में 4800 से ज्यादा लाशों को बांग्लादेश लाया गया. सबसे ज्यादा लाशें सऊदी अरब से भेजी जा रही हैं. द डेली स्टार के मुताबिक जितने भी माइग्रेंट वर्कस के लाश बांग्लादेश भेजी जा रही हैं, उन सब में नेचुरल डेथ लिखा जा रहा है, जिस पर बांग्लादेश में अब सवाल उठने लगे हैं.
खाड़ी देशों में क्यों मर रहे बांग्लादेश
बांग्लादेश से बड़ी तादाद में लोग सऊदी अरब, कुवैत, कतर और UAE जैसे देशों में काम करने जाते हैं. यहां ज्यादातर बांग्लादेश मजदूरी का काम करते हैं, ज्यादा तापमान और खराब रहन सहन की वजह से जान जोखिम बना रहता है और इसी वजह से मजदूरों की मौतों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. बांग्लादेश से सबसे ज्यादा माइग्रेंट वर्कर सऊदी अरब जाते हैं, एक डेटा के मुताबिक सऊदी अरब में करीब 26 लाख बांग्लादेश प्रवासी मजदूर रहते हैं.