ईवीएम के बजाए मतपेटियों से चुनाव हो
वन नेशन वन इलेक्शन से धन और समय दोनों की बचत होती हैं - महापौर
एआई हम पर हावी नहीं हो - अमृतासिंह
महोत्सव में शिक्षा, मीडिया और स्वास्थ्य में ए आई के साथ राजनीति पर भी बैबाकी के साथ बातचीत हुई
इंदौर। स्टेट प्रेस क्लब म. प्र. द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारतीय पत्रकारिता महोत्सव के समापन दिवस पर भी मीडिया शिक्षा, और स्वास्थ्य मे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ -साथ भारतीय राजनीति पर भी बैबाकी के साथ बातचीत हुई। महोत्सव में देशभर से आए मीडियाकर्मियों, सोशल इन्फलूयंसर ने मंच पर उपस्थित पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह एवं राज्यसभा सांसद,टीवी पत्रकार अमृतासिंह, प्रेस क्लब आफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित कई बडी हस्तियों से सवाल - जवाब भी किये। महोत्सव में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय का पत्रकारिता कॉलेज सहित निजी यूनिवर्सिटी के शोधार्थी छात्र -छात्राओ की भी सक्रिय भागीदारी भी रही। पहले सत्र के मुख्य वक्ता पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि देश में एक ऐसा निष्पक्ष चुनाव आयोग बनना चाहिए, जो ईमानदारी के साथ कार्य कर सकें। वर्तमान में जो चुनाव आयोग हैं उसकी भूमिका एक राजनीतिक दल का तरह होकर रह गई हैं, जो जनता के बजाय सरकार के प्रति अधिक जवाबदेह है। इस चुनाव आयोग ने लोक तंत्र पर कब्जा कर रखा है, जो विपक्षी दलों की लगातार अनसुना कर रहा हैं। विपक्षी दलों से बात करने के लिए आयोग के पास समय नहीं हैं। कभी मतदाता सूची में हजारों मतदाताओं के नाम कट जाते हैं, तो कभी हजारों के नाम जुड भी जाते हैं। संविधान के नियमों का पालन नहीं कर रहा चुनाव आयोग।
श्री सिंह ने कहा कि चुनाव के दोरान प्रयुक्त होने वाली ईवीएम मशीन पर मेरा विश्वास नहीं हैं। और मैं ईवीएम मशीनों से चुनाव कराने के पक्ष में भी नहीं हूं। देश में चुनाव मतपत्र और मतपेटियों के द्वारा होना चाहिए।कई देशों में चुनाव इसी तरीक़े से हो रहे हैं। यहां तक कि अमेरिका की ट्रम्प सरकार भी ईवीएम के पक्ष में नहीं हैं। यहीं बात एलन मस्क , तुलसी ने भी कही।
श्री सिंह ने कहा कि मेरे तीन सवाल हैं। 1) जिसे मैं चाहूं, वोट उसी को मिल रहा या नहीं
2) जहां मैंने वोट दिया वह रजिस्टर्ड हो रहा या नही
3) मेरे वोट की 100 प्रतिशत गिनती हो रही हैं या नही।
श्री सिंह ने कहा कि ईवीएम मशीन को मेन्युपुलैट भी किया जा सकता हैं। वीवीपैट से भी पता नहीं चलता कि वोट किसे मिला हैं। ईवीएम में डाला गया साफ्टवेयर का संपर्क किससे हैं, इसकी जानकारी भी सबको नहीं होती है। इसलिए बेहतर यहीं हैं कि ईवीएम, विविपैड के बजाय मत पत्र से मतदान कराये। सिंह ने आगे कहा देश के हालात के साथ अंदरुनी खबर मिल जाती थी। 11 साल में जो हाल हुआ है वहीं पत्रकारों का हुआ ,जिसे आप समझ सकते हैं। किस मानसिकता के साथ, प्रेस के साथ व्यवहार किया जा रहा है। सांप्रदायिक सदभाव रखने में कितनी गालियां पड़ती है, क्या क्या कहा है। आज देश में और राजनीतिक परिदृश्य में सभी तरह की आलोचना सहने की क्षमता होनी चाहिए। जब नटवर सिंह रिटायर हुए तो इंदिराजी से कहा मैं सूटबूट छोड़कर खादी पहनने लगा हु। वर्ष 2011 में सोशल मीडिया पर रजिस्टर्ड किया। तब से बिना भय के अपनी बात कहता हूं। पहले पत्रकारों से अभिन्न संबंध थे। अमृताजी तो घर में ही पत्रकार आ गई। अब तो निंदक नियरे साथ में रहती हैंँ मेरे हर एक्स पर उनका विश्लेषण होता है वो हिंदी में, अंग्रेजी में पढ़ा हूं। मुझे उनकी आलोचना सहना पड़ती है।
इस देश में आज जो हालात हैं, 1947 में संविधान के लिये चर्चा हुई तो गांधीजी ने एक ही बात कही जिस समूह ने वर्षो भेदभाव सहा है उसमें से किसी को बनाना चाहिए तब बाबा साहब अंबेडकर का नाम सामने आया। उनसे ज्यादा शिक्षित, काबिल, भेदभाव का शिकार रहे उन्हें अध्यक्ष चुना। संसद ने एकमत से स्वीकार किया। उस समय लोकतंत्र और एक तंत्र का विकल्प था। एक तंत्र यानी वन नेशन, वन इलेक्शन, वन विचारधारा। उन्होंने सभी वर्गों को अधिकार की बात कही।
अखंड भारत के नक्शे में वो देश भी आ जाते हैं जो अभी भारत में नहीं है। अभी विभिन्न राज्यों के कारण अनेकता में एकता है। वन नेशन, वन इलेक्शन की बात करने वाले एक कानून का पालन क्यों नहीं करते। वक्फ बोर्ड में भेदभाव झलकता है। विभिन्न ट्रस्टों में अन्य जाति का नहीं हो सकता तो मुसलमानों के ट्रस्ट में गैर मुसलमान कैसे हो सकता है।
किसी भी सफल लोकतंत्र में जनता को सूचना का अधिकार होना चाहिए।
डॉटा प्रोटेक्शन एक्ट में भी संशोधन कर दिया गया। किसी के खिलाफ बोलने पर ढाई सौ करोड़ की पेनल्टी है।
2047 तक लोकतंत्र रहेगा या नहीं यह देखना है।
जनर्लिजम मे हमसे भी ज्यादा गुटबाजी है। हम पत्रकारिता एक्ट के लिये पुरा समर्थन करेंगे।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि स्कूल कमजोर होता है तो स्टूडेंट भी कमजोर हो जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के
एक काम की मैं हमेशा प्रशंसा करता हूं, 74वें संशोधन में नगरीय निकाय पंचायत राज के लिये । एआई तब तक ही काम करता है जब तक उसमें आर्टिफिशियल डॉटा ही डाला जाए। एआई उन देशों की प्लॉनिंग है जो दुनिया के हर आदमी पर नजर रखना चाहते हैं। इसी कारण डॉटा चोरी हो रहा है। एआई से घबराए नहीं ,उसके सदुपयोग से अपने विचार को मजबूती से रख सकते हैं। भारत दुनिया का ऐसा लोकतांत्रिक देश है, जिसकी जनसंख्या अधिक है। चुनाव आयोग निष्पक्षता से काम कर रहा है और वह इलेक्ट्रानिक मशीन को लेकर समय -समय पर जवाब देता है। हमें सिस्टम पर विश्वास करना होगा।अपने कार्यकर्ता, कैडर पर विश्वास करना होगा। सिस्टम पर विश्वास नहीं रखेंगे तो कई सारे प्रश्न खड़े होंगे। उन्होंने एक देश एक चुनाव के समर्थन मे कहा कि देश में पूर्व प्रधानमंत्री पं. नेहरु के रहने तक अलग अलग चुनाव होते रहे।पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी वन नेशन-वन इलेक्शन की बात कही थी। इसी विषय पर राष्ट्पति रहे रामनाथ कोविंद ने भी एक रिपोर्ट पेश की थी और वह कानून जेपीसी को भेजा है। वन नेशन वन इलेक्शन से देश का पैसा, वक्त, सभी बचेगा। अलग - अलग चुनाव पर साढे छह लाख करोड़ रुपये खर्चा हुए। एक साथ चुनाव पर मात्र डेढ़ लाख करोड़ ही खर्चा होते है । पैसे से अधिक समय भी बचता। महापौर ने आगे कहा कि जब मैं मेयर बना टैक्स बढ़ाने जैसा कठोर लेने वाला था, लेकिन हर बार कोई चुनाव निकल आया। चंदा देने, लेने वालों को एक बार ही देना पड़ेगा।
एक समय वो था जब सारा आप के पास जा रहा था।
एक देश-एक चुनाव बहुत अच्छा है।
निगम का जनभागीदारी के मॉडल को अन्य शहरों तक ले जाना है।
सोलर सिटी बनाने, ग्रीन बॉंड लाने जैसे काम से पब्लिक पार्टिसिपेशन का नवाचार किया।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने कहा कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के वक्त प्रेस की आजादी वाला माहौल था। आज तो पत्रकार तीखे सवाल भी नहीं कर सकते है। सेंट्रल हॉल में तो पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रेस की आजादी को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया बचाकर रखे हुए हैं। भारत में नेशनल मीडिया पॉलिसी नहीं है। इस पर हम काम करना चाहते हैं। इस बिल को मंजूरी के लिये विपक्ष के साथ सरकार से भी अपेक्षा रखते हैं।
टीवी पत्रकार एवं पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी अमृता सिंह ने कहा कि मैं तो साथ आ गई हूं। मुझे उपन्यास, कविता पढ़ना अच्छा लगता था। गुरु ने कहा था अपनी आंख, नाक, कान खोलकर रखना। नई पीढ़ी को सीख देने वाले लोग अब नहीं है। अब समझौतावादी पत्रकारिता देखकर रोष होता है। सरकार को झकझोर देने वाली पत्रकारिता नजर नहीं आती। एआई सहित नई चीजें आती रहेंगी। मेरे वक्त में इले. मीडिया का उदय हो रहा था। इले. मीडिया के आदर्श व मीडिया के मानदंड कम हो रहे हैं। सोशल मीडिया के दौर में सिटीजन जर्नलिज्म को बढ़ावा मिला था। अब पत्रकारिता की जिम्मेदारी कम नजर आती है। टेक्नालॉजी ने माध्यम तो दिया है ,लेकिन जिम्मेदारी वैसी नहीं रही। टेक्नालॉजी का उपयोग करें , पर अपनी जिम्मेदारी भी नहीं भूलें। आज टेक्नालॉजी हावी होने के साथ ही हम टेक्नालॉजी से इस्तेमाल हो रहे हैं।ज्यादातर पत्रकारों की एक जैसी भाषा हो रही है। पत्रकारों की बौद्धिकता को कोई एआई चुनौती नहीं दे सकता। हमें उसका गुलाम नहीं होना चाहिए।
मैं एआई को बिलकुल फॉलो नहीं करती। इसे जानना तो ठीक है, लेकिन इसके गुलाम ना हो। पत्रकारिता यदि जनता के प्रति ईमानदार हैं तो जिम्मेदार भी रहेंगे। मप्र के पत्रकारों के घर जलाए जा रहे, जेल भेजे जा रहे हैं ,ऐसे में भी मीडिया के लोग अपने पेशे को जिंदा रखे हुए हैं। अतिथि स्वागत स्टेट प्रेस क्लब अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल,आकाश चौकसे, नईम कुरैशी ने किया अतिथियों को प्रतीक चिन्ह अभिषेक सिसोदिया, रचना जौहरी, सोनाली यादव, मीना राणा शाह,शीतल राय और संजीव श्रीवास्तव ने प्रदान किये। कार्यक्रम का संचालन आलोक वाजपेयी ने किया। आभार माना नवनीत शुक्ला ने।