थाने में फोन की घंटी बजी। एक अनजान शख्स ने सूचना दी- सर! मंडापुरा साजियाली फांटा के पास सड़क किनारे झाड़ियों में एक युवक की लाश पड़ी है।
सूचना मिलते ही तत्कालीन SHO जयकिशन सोनी पुलिस टीम को साथ लेकर मौके पर पहुंचे। वहां पहले से ही भीड़ जमा थी। झाड़ियों में 25-26 साल के एक युवक की लाश पड़ी थी।
पुलिस ने नजदीक जाकर देखा कि गले में रस्सी से एक फंदा लगा हुआ था। साफ था कि उसे इसी फंदे से गला घोंट कर मारा गया है। शव के पास एक आदमी के पैरों के निशान के साथ ही एक मोटरसाइकिल के टायरों के भी निशान थे।
पुलिस ने मौके पर मौजूद भीड़ से पूछा कि क्या कोई इस शख्स को जानता है? सभी ने 'नहीं' में सिर हिला दिया। अब पुलिस को पहले इस पहेली को सुलझाना था कि ये युवक कौन था?
शव की शिनाख्त के लिए सोशल मीडिया पर शेयर किए फोटो
पुलिस टीम शव की शिनाख्त के लिए जुट गई थी। इस बीच SHO जयकिशन सोनी ने अज्ञात युवक की लाश मिलने की सूचना तत्कालीन बाड़मेर एसपी गगनदीप सिंगला और बालोतरा एएसपी कैलाशदान रतनू को दे दी थी।
मामले की गम्भीरता को देखते हुए कुछ ही देर में एसपी और एडिशनल एसपी भी मौके पर पहुंच गए थे। उन्होंने शव का निरीक्षण कर वहां मौजूद लोगों से बात की और इसके बाद दोनों पुलिस अधिकारी थाना प्रभारी जयकिशन सोनी को दिशा-निर्देश देकर चले गए।
अधिकारियों के जाने के बाद SHO सोनी ने शव का पंचनामा भर कर उसे पोस्टमाॅर्टम के लिए बालोतरा के सरकारी हॉस्पिटल भिजवा दिया। हत्या का राज खोलने के लिए और तफ्तीश को आगे ले जाने के लिए शव की शिनाख्त जरूरी थी।
पुलिस अधिकारियों ने शव की फोटो वाॅट्सऐप ग्रुप में शेयर किए। पुलिस की यह तरकीब काम कर गई। सामने आया था कि युवक (मृतक) का नाम गोमाराम था। वह धोरीमन्ना थाने के गांव कोठाला के रहने वाले गुमानाराम का बेटा था।
एसएचओ सोनी ने गुमानाराम को बुलवाया। गुमानाराम ने शव की शिनाख्त अपने बेटे गोमाराम के रूप में कर दी। पोस्टमाॅर्टम के बाद शव घर वालों को सौंप दिया गया।
15-16 साल पहले हुआ था बाल विवाह
पूछताछ की शुरुआत गोमाराम (मृतक) के परिजनों से की गई। पिता गुमानाराम और अन्य परिजनों ने बताया कि गोमाराम की किसी से कोई दुश्मनी नहीं थी। उसे किसी से जान का कोई भी खतरा नहीं था। न ही उन्हें उसकी हत्या का किसी पर कोई शक था।
तत्कालीन एसपी गगनदीप सिंगला ने केस सुलझाने के लिए पुलिस की दो टीमें बनाई। पहली टीम में नागाणा थाने के SHO देवीचंद ढाका, एसपी ऑफिस (स्पेशल टीम) से भूपेंद्र सिंह व ओमप्रकाश और दूसरी टीम में कल्याणपुर के SHO चंद्र सिंह व उनके थाने के तेजतर्रार सिपाहियों को शामिल किया गया था।
पुलिस ने जानकारी जुटाई तो पता चला कि 15-16 साल पहले लुखू गांव के श्रवणराम चौधरी की बेटी वीरो के साथ गोमाराम का बाल विवाह हुआ था। उस समय वीरो की उम्र 4 और गोमाराम की 10 साल थी।
गोमाराम ने स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। वहीं वीरो जब 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी, तभी उसका गौना गोमाराम से कर दिया गया था। गोमाराम जोधपुर शहर की एक फैक्ट्री में नौकरी करता था।
पुलिस ने जांच में पाया कि दोनों की शादीशुदा जिंदगी बढ़िया से चल रही थी। पति-पत्नी के बीच किसी तरह की कोई अनबन नहीं थी।
मामले की जांच चल रही थी] लेकिन पुलिस को कोई खास सफलता नहीं मिल पाई थी। इसी बीच पुलिस को बाड़मेर जिले के ही बाटाडू गांव में रह रहे एक लड़के की जानकारी मिली। ये लड़का गोमाराम के साथ उसके घर आता-जाता रहता था। करीब दो महीने पहले वह लुखू गांव स्थित गोमाराम (मृतक) के ससुराल भी गया था।
हैरान करने वाली बात ये थी कि जब वो गोमाराम के ससुराल गया था तो गोमाराम उसके साथ नहीं था। वहां वो अकेले ही गया था। पुलिस को ये बात सबसे ज्यादा खटक रही थी। हालांकि अभी भी पुलिस के पास कोई ठोस सबूत नहीं था, लेकिन अब इन्वेस्टिगेशन के कई सवाल सामने थे।
बाटाडू गांव का वो लड़का कौन था?
वो गोमाराम के साथ उसके घर क्यों आता-जाता था?
वो गोमाराम के बिना उसके ससुराल क्यों गया था और किससे मिला था?
आखिर गोमाराम का मर्डर किसने किया?
मर्डर की वजह क्या थी?