भोपाल । मप्र के उच्च शिक्षा क्षेत्र को 14 जुलाई को बड़ी सौगात मिलने वाली है। देश के गृह मंत्री अमित शाह प्रदेश में 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस का एक साथ शुभारंभ करने वाले हैं। एक्सीलेंस कॉलेजों की विशेषता यह है कि नई शिक्षा नीति के अनुरूप इनमें सभी कोर्स उपलब्ध होंगे तथा ये कॉलेज सभी संसाधनों से युक्त होंगे। युवा पीढ़ी को इन कॉलेजों का लाभ मिलेगा। वर्तमान में मौजूद कॉलेजों को ही अपग्रेड कर नया दर्जा दिया जा रहा है। इन कॉलेजों में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। साथ ही जरूरत के मुताबिक आने वाले समय में शिक्षकों की पदस्थापना भी की जाएगी।
पीएम एक्सीलेंस कॉलेजों में संस्कृत, बायोटेक, और कंप्यूटर साइंस विषय खोले जाएंगे। सात कॉलेजों में ग्रेजुएशन स्तर पर नए संकाय खोले जाएंगे। इसी क्रम में राजधानी भोपाल के हमीदिया कला एवं वाणिज्य कालेज में साइंस संकाय शुरू किया जा रहा है। इसी तरह पोस्ट ग्रेजुएशन में 27 नए विषय शुरू किए जा रहे हैं। चयनित प्रोफसर्स के प्रशिक्षण के लिए नई नीति बनाई जा रही है, जिसके अनुरूप ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्रेनिंग दी जाएगी। यह ट्रेनिंग भारतीय परंपरा, गुरुकुल परंपरा के अनुरूप भारतीय परिवेश को बढ़ावा देगी। इसके महत्व को समझाने की दृष्टि से प्रॉफसर्स को उसी परिवेश में ट्रेनिंग देने की योजना है। कॉलेजों की कक्षाएं जुलाई से शुरू हो जाएंगी, लेकिन चयनित कॉलेजों में अभी पीएम एक्सीलेंस के अनुसार व्यवस्थाएं नहीं बन पाई हैं। समय सीमा में संसाधानों की उपलब्धता चुनौती हो सकती है। प्राध्यापकों की सिलेक्शन प्रक्रिया और ट्रेनिंग में अभी समय लगेगा।
366 करोड़ से संवरेंगे एक्सीलेंस कॉलेज
प्रदेश के विभिन्न जिलों में चयनित 55 अग्रणी कॉलेज पीएम एक्सीलेंस कॉलेजों का रूप लेंगें। इसके लिए तैयारियां चल रही हैं। इन कॉलेजों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और एनईपी की अवधारण के अनुरूप शुरू किया जा रहा है। अधोसंरचना विकास, भवन विस्तार, लैंग्वेज व स्किल डेवलपमेंट लैब, उपकरणों और अन्य सुविधाओं पर 366 करोड़ खर्च किया जा रहा है। वहीं उच्च गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के लिए कॉलेजों में 2032 नए पदों का सृजन किया गया है, जिस पर प्रति वर्ष 150 करोड़ का व्यय होगा। इन कॉलेजों में कुछ विशेष सुविधाएं दी जा रही हैं, साथ ही नए नियम भी लागू किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि प्रत्येक संभाग में इन्हीं कॉलेजों में से एक कॉलेज को आदर्श संस्थान बनाने की शासन की योजना है। यह संस्थान अन्य कॉलेजों के लिए मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।
यूजीसी के सभी मापदंडों का होगा पालन
एक्सीलेंस कॉलेज में विषय और रोजगारमूलक शिक्षा दी जाएगी। इन कॉलेजों में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। केंद्र सरकार की तरफ से प्रत्येक कॉलेज के लिए 22 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। इसके अलावा जरूरत पडऩे पर प्रदेश सरकार भी बजट में राशि का प्रावधान करेगी। इन कॉलेजों में यूजीसी के सभी मापदंडों का पालन होगा। कॉलेज एनईपी के उद्देश्यों पर आधारित होंगे। भारतीय ज्ञान परंपरा, अनुसंधान, हुनर आधारित रोजगारपरक शिक्षा पर फोकस होगा। समृद्ध बनाने के लिए अधोसंरचना और एकेडेमिक गुणवत्ता पर विशेष फोकस रहेगा। विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार निर्धारित मापदंडों का पालन होगा। जनभागी सहभागिता से पर्यावरण फ्रेंडली विद्यावन का निर्माण और रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर भी फोकस होगा। छात्रों को एक रुपए प्रतिदिन में बस सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। यहां स्थापित केंद्र में 40 प्रतिशत डिस्काउंट पर हिंदी ग्रंथ अकादमी की पुस्तकें मिलेंगी। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि एनईपी और भारतीय ज्ञान परंपरा के उद्देश्यों की पूर्ति होगी। शासकीय कॉलेजों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिलने से सभी विद्यार्थियों को विकास के समान अवसर प्राप्त होंगे।