नई दिल्ली । तीन नए कृषि बिलों के खिलाफ किसान पिछले छह महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन अब जब कोरोना से लड़ाई लंबी खिंच रही है तो आंदोलन कर रहे किसानों को भी संक्रमण की चिंता सताने लगी है। धरनास्थल पर किसानों की संख्या में अब कमी आ रही है। शायद यही वजह है कि अब किसान अपनी लड़ाई को वर्चुअल करने की तैयारी में हैं। इसको लेकर किसान संगठन कई बैठक भी कर चुके हैं।भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत कहते हैं, किसान हैं जमीन कैसे छोड़ेंगे, पर असम में बैठा किसान, तमिलनाडु का किसान, आंध्र प्रदेश का किसान, बिहार का किसान मतलब पूरे देश का किसान रोज के आंदोलन का हिस्सा कैसे बने, इसके लिए ठोस प्लान बनाया जा रहा है। हम सोशल मीडिया पर अपनी लड़ाई को और धार देंगे। वैसे भी यह सरकार तो ट्विटर पर ही चल रही है तो हमने सोचा, जमीन पर विरोध के साथ ट्विटर पर भी इन्हें घेरें। तो क्या जमीनी धरना बस प्रतीकात्मक रह जाएगा, इस सवाल पर टिकैत कहते हैं, जमीन पर धरना चलता रहेगा, मई के बाद दूसरे राज्यों से भी किसान आने शुरू हो जाएंगे, लेकिन इस लड़ाई को अब हम चौतरफा बनाने की तैयारी में हैं। पूरे देश के किसान तो यहां के तीनों बॉर्डर पर आकर बैठ नहीं सकते, लेकिन यह लड़ाई तो देश के हर किसान की है। इसलिए सभी किसान अब सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएंगे।
आभासी दुनिया से सरकार पर वार
भाकियू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक कहते हैं, ट्विटर, फेसबुक, वॉट्सऐप पर हम लगातार बने हुए हैं। जब से आंदोलन शुरू हुआ है। हम तकरीबन रोजाना सुबह 7 बजे से लेकर 8 बजे तक ट्विटर ट्रेंड कराते हैं। कई बार दिन में कई-कई घंटे किसान के मुद्दे ट्रेंड करते हैं। लेकिन, अब इस लड़ाई को और तेज करने की तैयारी है। पूरी प्लानिंग के साथ अब हम कुछ टॉपिक तय करेंगे और उन पर तय समय पर सोशल मीडिया पर लाइव बहस करेंगे। केवल किसान नेता नहीं, हरेक किसान जो कुछ कहना चाहता है, वह अपनी बात सोशल मीडिया पर लाइव होकर कहेगा।