भोपाल : मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ सहकारी समिति परिसर में सचिव मछुआ कल्याण और मस्त्य विकास विभाग डॉ. नवनीत मोहन कोठारी की उपस्थिति में मछुआ दिवस मनाया गया। प्रति वर्ष 10 जुलाई 1957 को डॉ. हीरालाल चौधरी द्वारा सीफा भुवनेश्वर में पहली बार सफर मछली का सफलतापूर्वक प्रजनन कराया गया था। यह एक ऐसा उल्लेखनीय कार्य था, जिससे मछली पालन के क्षेत्र में एक नई क्रांति आई। इस क्रांति को नीली क्रांति का नाम दिया गया। इस क्रांति से देश में लाखों लोगों को मछली पालन से जोड़ा गया है। इस उपलब्धि के लिये देश में हर साल 10 जुलाई को मछुआ दिवस मनाया जाता है।

मछुआ कलयाण सचिव डॉ. कोठारी ने कहा कि प्रदेश में मछुआ कल्याण और मत्स्य विकास के लिये ठोस प्रयास किये जा रहे है। अधिक से अधिक मछुआरों को सहकारी समिति के दायरे में लाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष प्रदेश में 3 लाख 42 हजार मीट्रिक टन मत्स्योत्पादन का लक्ष्य हासिल किया गया। उन्होंने कहा कि मछुआरों की सहकारी समितियों से आगामी वर्ष में प्रदेश में 3 लाख 90 हजार मीट्रिक टन मत्स्य उत्पादन के लक्ष्य को हासिल किया जाएगा। कार्यक्रम में संचालक मत्स्य उद्योग श्री भरत सिंह और मुख्य महाप्रबंधक श्रीमती ज्योति टोप्पो ने भी संबोधित किया। श्रीमती ज्योति टोप्पो मुख्य महाप्रबंधक मत्स्य महासंघ द्वारा सभी मछुआ भाई बहनों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए बताया कि कोई भी कार्य बिना लक्ष्य के पूरा नहीं हो सकता हमें लक्ष्य पर ध्यान रखना होता है। तालाबों से मत्स्य उत्पादन में मछुआ सहकारी समितियों के सदस्य लगातार प्रगति कर रहे हैं श्रीमती टोप्पो द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाले सभी मछुआ भाई बहनों की सराहना की।

श्रेष्ठ कार्य करने वाले हुए पुरस्कृत

मछुआ दिवस के मौके पर प्रदेश में मत्स्य पालन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले मछुआरों को पुरस्कृत किया गया।