शहडोल जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाये जाने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट जस्टिस जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ ने पाया कि याचिकाकर्ता ने वक्त बोर्ड हित के खिलाफ कार्य किया गया था। एकलपीठ ने मप्र वक्फ बोर्ड के आदेश को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया।याचिकाकर्ता रियाज की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि उसे 6 अक्टूबर 2023 को शहडोल वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्ति किया गया था। वक्फ बोर्ड की संपत्ति खाली कराने के लिए ताज खान नामक व्यक्ति के खिलाफ तहसील न्यायालय में प्रकरण चल रहा था। ताज खान ने विवादित संपत्ति को खाली कर दिया था। जिसके कारण उसने विवाद खारिज करने तहसील न्यायालय में आवेदन किया था। इस कारण से मप्र वक्फ बोर्ड ने उसे अध्यक्ष पद से हटा दिया।सुनवाई के दौरान एकलपीठ ने बताया गया कि ताज खान अभी भी विवादित संपत्ति पर काबिज है। पद का दुरुपयोग करने के कारण मप्र वक्फ बोर्ड ने याचिकाकर्ता को हटाने के आदेश जारी किए हैं। याचिकाकर्ता के तरफ से तर्क दिया गया कि वह मुतवल्ली के रूप में कार्य करता है। इसलिए वक्फ बोर्ड अधिनियम की धारा 67 की शक्तियों के तहत उसे नहीं हटाया जा सकता है। एकलपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा कि धारा 67 के तहत उसे अध्यक्ष पद से हटाया गया कि मुतवल्ली पद से नहीं हटाया गया है।
जिला वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने के आदेश को हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज
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