भोपाल : महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया ने महिला एवं बालिका सशक्तिकरण के लिये आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का भोपाल में शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में महिला बाल विकास विभाग उस वर्ग के लिये नीति बनाने का कार्य करने जा रहा है जो आधी आबादी है। इसमें सभी विभागों के सहयोग से ऐसी महिला नीति को धरातल पर लेकर आना है जो अन्य राज्यों के लिये प्रेरणा बनें। मंत्री भूरिया ने कहा कि महिलाओं को आज सभी क्षेत्रों में वैधानिक रूप से समान अधिकार प्राप्त है लेकिन समाज में उन्हें आज भी इसके लिये संघर्ष करना पड़ता है। महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त होना उनके पूरे भविष्य को तय करता है।
केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार ने भी महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा के लिये विभिन्न योजनाएँ बनाई है। महिला सशक्तिकरण एक बहुआयामी दृष्टिकोण है जिसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, विधिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं का समावेश है।
मंत्री भूरिया ने कहा कि महिला नीति मात्र कागजी दस्तावेज न बने, इसे मेनिफेस्टो के रूप में तैयार करें। सभी ऐसे विभाग जो महिला सशक्तिकरण के पहलूओं से अनछूए को भी शामिल करें। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण एक नारा नहीं है, यह विकास की धार से जुड़ा ऐसा कार्य है जो स्वयं और दूसरों के लिये सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
प्रमुख सचिव महिला बाल विकास संजय शुक्ला ने कहा कि सशक्तिकरण के कई घटक है जैसे शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, कानून आदि। नीति में महिलाओं के मानव अधिकार, उनकी भागीदारी, हिंसा जैसी कुरीतियों को कैसे दूर किया जा सकता है, उसका समावेश हो। प्रमुख सचिव शुक्ला ने कहा कि महिला नीति आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्व सहायता समूह कि महिलाओं का वर्तमान में मोबाईल से काम करना डिजिटल सशक्तिकरण है। केवल एक दिशा में प्रयत्न करने से वांछित सफलता मिलना कठिन है क्योंकि महिला सशक्तिकरण एक बहुआयामी अवधारणा है। इस कार्य में एनजीओ तथा सामाजिक संस्थाओं को भी जोड़ना आवश्यक है। महिला और बालिकाओं के सशक्तिकरण की शुरूआत हम अपने घर और विभाग से करें।