भोपाल ।   पाकीजगी ईमान का आधा हिस्सा है। इस्लाम जिस आसमानी किताब के इर्द गिर्द चलता है, जिस पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के कहे एक एक लफ्ज को अपना आदर्श मानता है, सबने पाकीज़गी को ईमान का अहम हिस्सा करार दिया है। हमें आज के माहौल में इसका सख्ती से पालन भी करना चाहिए और इसको गंभीरता से अपनाकर समाज में एक आदर्श पेश करना चाहिए। काजी ए शहर सैयद मुश्ताक अली नदवी ने सोमवार को ईदगाह में ईद उल अजहा की नमाज अदा करने से पहले अपने बयान (प्रवचन) में लाखों श्रद्धालुओं को यह ताकीद की। ईदगाह में अल सुबह 7 बजे ईद की नमाज का वक्त मुकर्रर किया गया था। नमाज में शामिल होने के लिए लोगों ने वक्त से पहले ही कदम बढ़ा लिए थे। जिसके चलते ईदगाह पहुंचने वाले सभी रास्तों पर नमाजियों का हुजूम उमड़ा दिखाई दिया। साफ सुथरे कपड़े, बदन पर इत्र लगाए और जुबान पर कलमा रखे हुए यह लोग ईदगाह की तरफ बढ़ रहे थे। 

पहले बयान, फिर नमाज और बाद में हुआ खुतबा

शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी ने ईद की नमाज से पहले स्वच्छता, आपसे भाईचारे और सौहाद्र का माहौल बनाए रखने की बात कही। उन्होंने जब नमाज अदा कराई तो हर तरफ सिर्फ उनके मुख से निकलने वाले अल्फाज ही गूंज रहे थे। नमाज के बाद शहर काजी ने खुतबा (इस्लामी संदेश) सुनाया। इस दौरान भी लोग खामोशी से बैठकर इसे सुनते रहे। अंत में काजी ए शहर ने दुआ ए ख़ास कराई। उन्होंने मुल्क और दुनिया के साथ शहर और प्रदेश में खुशहाली, शांति, सौहाद्र की दुआ कराई तो सारा मजमा आमीन की  पुकार से गूंजता रहा। नमाज से फारिग होने के बाद लोगों ने एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। इसके बाद लोग अपने घरों की तरफ रवाना हुए।

चलता रहा नमाज का दौर

ईद उल अजहा की पहली नमाज ईदगाह में अदा होने के बाद सुबह 7.15 बजे जामा मस्जिद में नमाज हुई। इसके बाद सुबह 7.30 बजे ताजुल मसाजिद में नमाजियों का हुजूम जुटा। यहां भी बड़ी तादाद में नमाजी पहुंचे थे। मोती मस्जिद में सुबह 7.45 बजे नमाज अदा की गई। आरिफ नगर स्थित बिल्किस जहां में सुबह 8 बजे नमाज हुई। इसके अलावा प्रेस कॉम्प्लेक्स, न्यू कबाड़खाना, अशोका गार्डन समेत शहर की सैंकड़ों मस्जिदों में भी ईद की नमाज अदा की गई।

शुरू हुआ कुर्बानी का सिलसिला

हजरत इस्माइल की अल्लाह के प्रति आस्था को प्रतीक मानते हुए की जाने वाली कुर्बानी के लिए शहर ने भी अपनी अकीदत दर्शाई। लोगों ने अपनी हैसियत और पसंद के साथ जरूरत के लिहाज से बकरों और पाड़ों की कुर्बानी की। सोमवार सुबह से शुरू हुआ यह सिलसिला बुधवार शाम तक जारी रहेगा। इस बीच लोगों की मेल मुलाकात और दावतों का सिलसिला भी चलता रहेगा।

तोप से दी नमाज होने की जानकारी

ईदगाह में नमाज अदा होने के बाद जामा मस्जिद, ताजुल मसाजिद और मोती मस्जिद के अलावा शहर की अन्य मस्जिदों में ईद की नमाज होना थी। ईदगाह की नमाज मुकम्मल हो जाने के बाद इसकी सूचना तोप के गोले दागकर दी गई। ताकि बाकी मस्जिदों में नमाज की तैयारी की जा सके। साथ ही नमाजी भी इस लिहाज से समयानुसार मस्जिद तक पहुंच सकें। 

एक रास्ते से आमद, दूसरे से वापसी

ईदगाह की नमाज में शामिल होने के लिए अकीदतमंदों के हुजूम अल सुबह से ही मंजिल की तरफ बढ़ने लगे थे। सिर पर टोपी, बदन पर नए नवेले कपड़े, महकती खुशबू और जुबां पर अल्लाह का जिक्र लिए लोग हर तरफ दिखाई दे रहे थे। इस्लामी मान्यता अनुसार इनका वापसी का रास्ता कुछ बदला हुआ था। 

ईदगाह से जुगलबंदी करते दिखाई दिए अन्य धार्मिक स्थल

जिस समय ईदगाह पर नमाज की तैयारी हो रही थी पास ही स्थित गुफा मंदिर से घंटियों और भजन की धीमी आवाज सुनाई दे रही थी। दूसरी तरफ ईदगाह हिल्स पर ही स्थित नानक साहब गुरुद्वारा में भी गुरुवाणी गूंज रही थी। जबकि ईदगाह के निचले हिस्से में स्थित कोहेफिजा के आर्च बिशप हाउस के चर्च में ईसाई धर्मावलंबी अपनी प्रेयर में तल्लीन थे। 

झलकियां

ईदगाह में नमाज अदा करने के लिए लोग अल सुबह से ही पहुंचना शुरू हो गए थे।
एक लाख से ज्यादा क्षमता वाली ईदगाह नमाजियों से खचाखच भर गई तो बाद में आने वाले लोग पार्किंग और देरी से आने वाले आसपास की सड़कों पर ही नमाज के लिए कतारबद्ध हो गए।
ईदगाह की नमाज में शामिल न हो पाए लोगों ने पहले जामा मस्जिद की दौड़ लगाई। इससे भी  बाकी रह गए लोगों ने ताजुल मसाजिद और मोती मस्जिद की तरफ बढ़ते गए।
नमाज के बाद एक साथ कई मस्जिदों से नमाजियों का निकलना शुरू हुआ तो पुराने शहर के अधिकांश इलाकों में जाम के हालत बन गए।