छिंदवाड़ा ।   लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सफाया हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा में भी पार्टी का प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया। कमलनाथ के बेटे नुकल नाथ बड़े अंतर से चुनाव हार गए। भाजपा उम्ममीदवार रहे बंटी विवेक साहू ने उन्हें 113618 वोटों से मात दे दी। इस हार को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने छिंदवाड़ा पहुंचकर कांग्रेस पदाधिकारी के साथ हार की समीक्षा की। खुद नकुल नाथ ने भी बैठक में अपनी बात कही और आगे का टारगेट भी बताया। आइए, जानें हैं कमलनाथ और नकुल नाथ ने क्या कहा?  दिल्ली से छिंदवाड़ा पहुंचे कमलनाथ ने कांग्रेस पदाधिकारी और विधायकों के साथ हार की समीक्षा को लेकर बैठक की। इस दौरान कमलनाथ ने भावुक बयान दिया। उन्होंने कहा कि मेरा और आपका राजनीतिक नहीं, पारिवारिक संबंध है। छिंदवाड़ा की जनता ने मुझे जो विदाई दी है वह मुझे स्वीकार है। उन्होंने कहा कि मैं आप सब से सिर्फ यह कहने आया हूं कि चुनाव में आपने जो मेहनत की उसका पोस्टमार्टम हमें करना है। जो चुनाव परिणाम सामने आए हैं, इसका किसी को विश्वास नहीं था। हमें ही इसका पोस्टमार्टम करना है, कोई दूसरा यह नहीं करेगा। इसके अलाव उन्होंने कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए कहा कि जिसे जो शिकायत होगी वह सीधे तौर पर मुझे करेगा। आप सभी लोग मुझे मेल भी कर सकते हैं। इसी तरह पूर्व सांसद नकुलनाथ ने कार्यकर्ताओं की बैठक में कहा कि लोकसभा चुनाव में साथ देने के लिए अपका धन्यवाद। अब हमारा अगला लक्ष्य अमरवाड़ा विधानसभा चुनाव है। अमरवाड़ा चुनाव में जब हम जीतेंगे, तब मैं समझूंगा कि आप सब ने अपना फर्ज अदा कर दिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह 40 साल से आपने हमारे परिवार का साथ दिया है, आगे भी हमारा राजनीतिक नहीं, पारिवारिक रिश्ता बना रहेगा।

बोरिया बिस्तर बांध कर नहीं जाऊंगा, आऊंगा

नकुलनाथ ने कहा कि वह बोरिया बिस्तर छोड़कर कहीं जाने वाले नहीं हैं। मैं दिल्ली जाऊंगा, लेकिन दोबारा लौटकर आऊंगा। हमारा अगला लक्ष्य अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र है, जहां से हर हाल में कांग्रेस प्रत्याशी को जिताना है। उन्होंने सभी नेताओं से आग्रह किया कि वह अपना क्षेत्र छोड़कर अमरवाड़ा विधानसभा की जीत के लिए जुट जाएं।

जिला अध्यक्ष ने की इस्तीफे की पेशकश, कमलनाथ ने ठुकराया

नुकलनाथ की हार के बाद कांग्रेस जिला अध्यक्ष विश्वनाथ ओकटे ने अपना इस्तीफा कमलनाथ को सौंप दिया था। लेकिन, कमलनाथ ने ओकटे से कांग्रेस संगठन के लिए काम करने की बात कहकर इस्तीफा अस्वीकार कर दिया। विश्वनाथ का कहना था कि वह हार की जिम्मेदारी ले रहे हैं।