वाशिंगटन। वैज्ञानिक अंतरिक्ष में भोजन उत्पादन के प्रयोग कर रहे हैं। नासा भी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर पौधे उगाने और उससे संबंधित प्रयोग कर रहा है इसमें एक खास प्रोजेक्ट अंतरिक्ष में पौधों को पानी देने की समस्या का समाधान खोजना भी है। इंसान के भोजन में सबसे प्रमुख हिस्सा पौधों से आता है ऐसे में अंतरिक्ष में पौधे उगा पाना कई समस्याओं को एक साथ हल कर सकता है। लेकिन अंतरिक्ष में पौधे उगाना आसान नहीं हैं। वहां शून्य गुरुत्व का प्रभाव रहता है और पौधों का पनपना गुरुत्व पर बहुत ज्यादा निर्भर रहता है। पृथ्वी के बाहर खेती में नासा एक कारगर तरीके की खोज में है। नासा अंतरिक्ष में पौधों को पानी और हवा देने के एक कारगर तरीके को खोजने के करीब है। यह प्रोजेक्ट पृथ्व से 200 किलोमीटर ऊपर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में चल रहा है जहां शून्य गुरुत्व वायुमंडल है। नासा यह सीखना चाह रहा है कि कैसे भविष्य में चंद्रमा और मंगल पर लंबे समय तक रहने वाले यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था हो सकती है। 
नासा के ग्लेन्स प्लांट वायर मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के वैज्ञानिक टेलर हैच का कहना है कि पुराने शोधों ने दर्शाया है कि पौधों का अंतरिक्ष में विकास एक खाद्य स्रोत के तौर पर बहुत फायदेमंद होगा और यह बागवानी के नजरिए से मुमकिन है। लेकिन इसमें बड़ी चुनौती पौधों की जड़ों तक हवा पानी पहुंचाना है। अंतरिक्ष में पौधे पृथ्वी के मुकाबले कुछ अलग तरह से पनपते हैं क्योंकि वहां गुरुत्व नहीं होता है। इस प्रोजेक्ट में जीवविज्ञानी इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में पौधों के पनपने संबंधी जरूरतों को समझने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए टीम ने पानी देने के लिहाज से दो तरह से पौधों की जीवन चक्र का अध्ययन किया। पहले तरीके में तो बिलकुल पहली पृथ्वी के माहौल की तरह ही पौधों को मिट्टी में पानी दिया गया। लेकिन दूसरे तरीके में उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का उपयोग किया जिसमें मिट्टी नहीं होती है और पौधा केवल पानी में बैठा होता है। शोधकर्ताओं ने पौधों के लंबे समय तक पनपने के लिए एक कृत्रिम तरीका निकाला। उन्होंने कपड़े, फोम और स्पंज का प्रयोग सिम्यूलेटेड पौधे बनाए जिनकी अन्य भौतिक विशेषताओं की तरह जड़ों का तंत्र और वाष्पीकरण दर समान थी। नासा ने बताया कि इस तरह उनकी टीम को वास्तविक पौधों का जीवविज्ञान अंतरिक्ष के माहौल के पौधों के लिए मिलाने की जरूरत नहीं पड़ी। 
इसके लिए शक्कर और पोषक तत्वों वाले फल का पृथ्वी जैसे हालात का सिम्यूलेशन किया गया। अप्रैल माह में इस प्रयोग का अंतिम चरण पूरा किया गया और इससे टीम ने इस प्रयोग के लिए बहुत ही उपयोगी आंकड़े जमा कर लिए। नासा का मानना है कि यह प्रयोग बहुत कारगर रहा और भविष्य में बहुत काम आने वाला साबित होगा। बता दें ‎कि दुनिया के बहुत सारे देश अब अंतरिक्ष में लंबी दूरी की यात्राओं की तैयारी करने में लग गए हैं। इन लंबे मानव अभियानों के लिए कई तरह की चुनौतियां हैं जिनमें से सबसे बड़ी है यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था जो बहुत ज्यादा मात्रा में और बहुत लंबे समय के लिए पृथ्वी से नहीं भेजी जा सकती।