
लखनऊ कोरोना प्रभावित जिलों का दौरा कर रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तंस कजा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखकर योगी से सवाल पूछा कि आखिर उनके पास ऐसा कौन सा नुस्खा है जिसकी जानकारी डॉक्टर्स को नहीं है। अखिलेश ने इन दौरों को निरर्थक बताया।
अखिलेश ने कहा, 'वैसे अपने दौरों की निरर्थक कसरत से क्या संदेश देना चाहते हैं, उनके पास ऐसा कौन सा नुस्खा है जो डॉक्टरों को नहीं पता है। कोरोना और ब्लैक फंगस की बीमारी से लोगों की रोज जानें जा रही है। इलाज की अव्यवस्थाएं बरकरार हैं, मरीजों की कहीं सुनवाई नहीं है। तब ऐसी अनियंत्रित अवस्था में मुख्यमंत्री की जनपदीय यात्राओं से कौन सा परिणाम आएगा? मुख्यमंत्री जहां जाते हैं अस्पतालों में मरीजों को उनके हाल पर छोड़कर डाॅक्टर-अधिकारी भी उनकी आवभगत में लग जाते हैं। आदेश-निर्देश से क्या हासिल होना है? नदी किनारे शवों का अंबार, मंडराते गिद्धों-चीलों के दृश्य राज्य सरकार को यह सब क्यों नहीं दिखता है?
भाजपा ने चार साल में किसी अस्पताल की नींव तक रखी नहीं
पूर्व सीएम अखिलेश ने कहा कि क्या यह सच्चाई नहीं है कि उत्तर प्रदेश में जो भी स्वास्थ्य ढांचा है वह समाजवादी सरकार में ही निर्मित हुआ है। भाजपा सरकार ने चार वर्ष में किसी अस्पताल की नींव तक नहीं रखी। भाजपा तो रायबरेली-गोरखपुर में एम्स चालू नहीं कर पाई।
अवध शिल्पग्राम और हज हाउस आज कोविड इलाज में काम आ रहे हैं, इनका निर्माण भी समाजवादी सरकार के समय ही हुआ था। वैसे भी मुख्यमंत्री अपने दौरों की निरर्थक कसरत से क्या संदेश देना चाहते हैं। उनके पास ऐसा कौन सा नुस्खा है जो डाक्टरों को पता नहीं है। बेहतर सुविधाएं सरकार उपलब्ध कराती तो तमाम पीड़ितों को राहत मिलती।
न बड़े पैमाने पर टेस्टिंग हो रही है, न दवाएं
अखिलेश यादव ने कहा कि, गांवों में दिन पर दिन हालत बिगड़ते जा रहे हैं। राज्य के एक लाख गांवों में 70 प्रतिशत आबादी है। यहां कोरोना या ब्लैक फंगस संक्रमण रोकने की कोई व्यवस्था नहीं है। न बड़े पैमाने पर टेस्टिंग हो रही है, न दवाएं है। पैरासिटामोल तक उपलब्ध नहीं है। वैक्सीनेशन की तो चर्चा करना ही व्यर्थ है। गांव-गांव मातम पसरा है, घर-घर बुखार में तप रहा है। सबसे दुःखद और शर्मनाक तो यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार निरंतर पर्यटन मोड पर चल रही है। पहले दूसरे राज्यों में प्रचार के बहाने अब जिलों-जिलों में दौरा। राज्य में काम बंद, रास्ता बंद। सरकार छलावा के धंधे से अपना काम चला रही है। इस भाजपा का ऐसा कलियुगी राज है जिसमें न जीते जी इलाज मिल रहा है और नहीं मरने के बाद सम्मान से अंतिम संस्कार ही हो पा रहा है।