जयपुर। राजस्थान के कोटा जिले के आमली झाड़ गांव में वैदिक मंत्रोच्चार, संगीत और ढोल-नगाड़ों के साथ पेड़ों की शादी करवाई गई। शादी समारोह में बराती और वधु पक्ष के लोग ग्रामीण ही बने। महिलाओं ने मंगल गीत गाए और पंड़ित ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सात फेरे करवाए। शादी समारोह में बड़ के पेड़ को दूल्हे और पीपल के पेड़ को दुल्हन का प्रतीक माना गया। शादी समारोह में ग्रामीणों की ओर से भोज का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। शादी समारोह सम्पन्न करवाने वाले पंडित हेमराज शर्मा ने बताया कि हिंदू रीति-रिवाजों में सभी धार्मिक कार्य पीपल के पेड़ में किए जा सकते हैं। शादी करने के बाद ही यह वृक्ष पवित्र माना जाता है। शादी के बीच पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने मात्र से मनोकामनापूर्ण हो जाती है। यह पूजा करने के लिए पवित्र माना जाता है।
फलौदी में बछड़े-बछड़ी की शादी
उधर फलौदी जिले नगर गांव में एक बछड़े और बछड़ी की शादी करवाई गई। ग्रामीणों ने उत्साह से गीत-संगीत के बीच बछड़े और बछड़ी को सजाया। इसके बाद दोनों के सात फेरे करवाए गए। गुरूवार को बुद्ध पूर्णिमा के दिन इस तरह केशादी समारोह राजस्थान में प्रतिवर्ष आयोजित होते हैं। आयोजकों का कहना है कि इस तरह के शादी समारोह के आयोजन के पीछे मकसद गौमाता को राष्ट्रमाता और गौसंवर्धन के रूप में बढ़ावा देना है। ग्रामीणों का मानना है कि बछड़े और बछड़ी की शादी करने से गांव में सुख समृद्धि होती है। किसानों के खेतों में अच्छी फसल होती है। गौसंरक्षण को बढ़ावा मिलता है।